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ऋषि कपूर नहीं रहे। वे ६७ साल के थे। ल्यूकेमिया यानी ब्लड कैंसर से जूझ रहे थे। गुरुवार सुबह मुंबई के एचएन रिलायंस फाउंडेशन हॉस्पिटल में उनका निधन हो गया। बुधवार को इरफान खान के निधन की खबर से बॉलीवुड उबरा भी नहीं था कि ऋषि कपूर के जाने की खबर आ गई। वे खुशमिजाजी के लिए जाने जाते थे। आखिरी वक्त तक भी उन्होंने अपना यह अंदाज नहीं छोड़ा। अस्पताल में डॉक्टरों-मेडिकल स्टाफ को हंसाते रहे, उनका मनोरंजन करते रहे।
इससे पहले पिछले गुरुवार भी उनकी सेहत खराब हुई थी। उन्हें अस्पताल में भर्ती भी कराया गया था, लेकिन चार घंटे बाद डिस्चार्ज कर दिया गया था। बाद में चेस्ट इन्फेक्शन, सांस लेने में दिक्कत और बुखार के कारण बुधवार को उन्हें दोबारा हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। उनकी हालत बिगड़ने के बाद उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया, लेकिन तड़के तीन बजे उन्होंने रिस्पॉन्ड करना बंद कर दिया। जब उन्होंने अंतिम सांस ली, तब उनके साथ पत्नी नीतू और बेटे रणबीर मौजूद थे।
०२ साल पहले कैंसर हुआ था
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२०१८ में ऋषि कपूर को कैंसर हुआ था। इलाज के लिए वो अमेरिका गए थे। वहां ११ महीने रहने के बाद पिछले साल सितंबर में भारत लौटे थे। अमेरिका में पूरे वक्त उनके साथ पत्नी नीतू ही थीं। रणबीर कपूर कई बार उनसे मिलने न्यूयॉर्क गए थे। कुछ दिनों पहले ऋषि ने एक इंटरव्यू में कहा था, “अब मैं बहुत बेहतर महसूस कर रहा हूं। और कोई भी काम कर सकता हूं। सोच रहा हूं कि एक्टिंग दोबारा कब शुरू करूं। पता नहीं लोगों को अब मेरा काम पसंद आएगा भी या नहीं। न्यूयॉर्क में मुझे कई बार खून चढ़ाया गया था। तब मैंने नीतू से कहा था- उम्मीद करता हूं कि नए खून के बावजूद मैं एक्टिंग नहीं भूलूंगा।”
फरवरी में दो बार अस्पताल में भर्ती हुए थे ऋषि
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ऋषि कपूर फरवरी में दो बार अस्पताल में भर्ती हुए थे। एक बार जब वे दिल्ली में एक पारिवारिक कार्यक्रम में भाग लेने गए थे तो उन्हें वहां के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उस समय खुद ऋषि ने कहा था कि वे संक्रमण से पीड़ित थे। मुंबई लौटने के बाद उन्हें फिर से वायरल बुखार के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन उनकी तबीयत जल्दी सुधर जाने के बाद उन्हें छुट्टी दे दी गई थी।
● एक महीने से सोशल मीडिया से दूर थे
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सोशल मीडिया पर लॉजिकल और अग्रेसिव कमेंट्स के लिए मशहूर ऋषि ने ०२ अप्रैल के बाद ट्विटर अकाउंट पर कुछ भी पोस्ट नहीं किया। उन्होंने बीते दिनों दीपिका पादुकोण के साथ हॉलीवुड फिल्म “द इंटर्न” के रीमेक में काम करने की घोषणा भी की थी।
*पृथ्वीराज कपूर के पोते और राज कपूर के बेटे*
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चिंटू के नाम से मशहूर ऋषि का जन्म ०४ सितंबर १९५२ को मुंबई के चेम्बूर में हुआ था। वे राज कपूर के दूसरे नंबर के बेटे और पृथ्वीराज कपूर के पोते थे। उन्होंने मुंबई के कैंपियन स्कूल और अजमेर के मेयो कॉलेज में अपने भाइयों के साथ पढ़ाई की। रणधीर कपूर उनके बड़े भाई और राजीव कपूर उनके छोटे भाई हैं। ऋषि और नीतू के दो बच्चे हैं- रणबीर और रिदीमा।
● ऋषि की फिल्मी यात्रा
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ऋषि कपूर ने १९७० में पिता की फिल्म ‘मेरा नाम जोकर’ से डेब्यू किया था। इस फिल्म में ऋषि ने अपने पिता के बचपन का किरदार निभाया था। ऋषि कपूर ने बतौर लीड एक्टर १९७३ में आई फिल्म ‘बॉबी’ से शुरुआत की थी। अपने करियर में १९७३-२००० तक ९२ फिल्मों में रोमांटिक हीरो का किरदार निभाया। बतौर सोलो लीड एक्टर ५१ फिल्मों में अभिनय किया। ऋषि अपने जमाने के चॉकलेटी हीरो में से एक थे। उन्होंने पत्नी नीतू के साथ १२ फिल्मों में अभिनय किया।
ऋषि ने निर्देशन में भी हाथ आजमाया। उन्होंने 1998 में अक्षय खन्ना और ऐश्वर्या राय बच्चन अभिनीत फिल्म ‘आ अब लौट चलें’ निर्देशित की। ऋषि कपूर ने अपने करियर की शुरुआत से हमेशा ही रोमांटिक किरदार निभाया था, लेकिन फिल्म ‘अग्निपथ’ में उनके खलनायक के किरदार को देख सभी हैरान रह गए। ऋषि को इसके लिए आईफा बेस्ट नेगेटिव रोल के अवार्ड से भी नवाजा गया।
● परिवार ने बताया- ल्यूकेमिया के बावजूद परिवार, दोस्त, फिल्में और खाना उनके फोकस में था
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ऋषि कपूर के निधन के बाद परिवार की तरफ से यह मैसेज जारी किया गया- ‘‘दो साल तक ल्यूकेमिया से जंग के बाद हमारे प्यारे ऋषि कपूर का आज सुबह ०८ बजकर ४५ मिनट पर निधन हो गया। अस्पताल के डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ ने कहा कि वे आखिर तक उनका मनोरंजन करते रहे। दो महाद्वीपों में उनका दो साल तक इलाज चला और इस दौरान वे खुशमिजाज और जिंदादिल बने रहे। परिवार, दोस्त, लजीज खाना और फिल्में उनके फोकस में रहीं। इस दौरान उनसे जो भी मिला, वह यह जानकार ताज्जुब में था कि उन्होंने कैसे बीमारी को खुद पर हावी नहीं होने दिया।
दुनियाभर में अपने फैन्स से मिल रहे प्यार के वे कर्जदार थे। उनके जाने के बाद सभी फैन्स यह समझ पाएंगे कि ऋषि चाहते थे कि वे आंसू नहीं, मुस्कुराहट के साथ याद किए जाएं। इस नुकसान के बीच हम यह जान रहे हैं कि दुनिया एक बेहद मुश्किल दौर से गुजर रही है। लोगों की आवाजाही और इनके इकट्ठा होने पर पाबंदियां हैं। हम उनके सभी फैन्स, चाहने वालों और दोस्तों से यह गुजारिश करते हैं कि वे नियम-कानूनों का सम्मान करें।’’
मिथिलेश जायसवाल
विवेक कुमार श्रीवास्तव सम्पादक