Breaking News
Home / Uncategorized / BREAKING NEWS / बहराइच – दशहरा के पर्व पर यहां होता है कंश वध, लगता है हजारों का जनसैलाब, कंश वध के पहले और बाद होता है लीला मंचन, जानिए कहां
[responsivevoice_button pitch= voice="Hindi Female" buttontext="ख़बर को सुनें"]

बहराइच – दशहरा के पर्व पर यहां होता है कंश वध, लगता है हजारों का जनसैलाब, कंश वध के पहले और बाद होता है लीला मंचन, जानिए कहां

रिपोर्ट- विवेक श्रीवास्तव

बहराइच- जनपद के मिहींपुरवा तहसील के भवनियापुर बनघुसरी में परंपरागत दशहरा धूमधाम से संपन्न हुआ, लेकिन यहां का दशहरा देशभर के अन्य स्थानों से अलग है। जहां पूरे भारतवर्ष में दशहरे के दिन अत्याचारी रावण का वध होता है और भगवान राम की विजय का उत्सव मनाया जाता है, वहीं भवनियापुर बनघुसरी में चित्रांश समाज द्वारा 172 वर्ष से संचालित दशहरे में भगवान कृष्ण के हाथों कंस वध का आयोजन किया जाता है। यह अनोखा दशहरा यहां के लोगों के लिए सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर के रूप में कई वर्षों से होता चला आ रहा है। दशहरे में कृष्णलीला आयोजन का मुख्य आकर्षण कंस वध और पुतला दहन का दृश्य रहा। शारदीय नवरात्रि की पंचमी से शुरू होने वाले इस दशहरे में कृष्ण जन्म से लेकर कंस वध तक की घटनाओं का जीवंत चित्रण किया गया। भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं से लेकर उनकी वीरता और अंत में अत्याचारी कंस के वध तक की कथा को निपुण कलाकारों द्वारा मंचित किया गया। कंस वध के पश्चात, आतिशबाजियों के साथ कंस का विशाल पुतला धू-धूकर जल उठा, जो दशहरे का प्रतीक बनकर बुराई के अंत और सच्चाई की विजय का संदेश देता है। पुतला दहन के समय उपस्थित जनसमूह के बीच जब कंस का पुतला जलने लगा, तो वहां उमड़ी भीड़ में उत्साह और उल्लास का माहौल था। हर उम्र के लोगों ने इस ऐतिहासिक और धार्मिक आयोजन का हिस्सा बनकर गर्व महसूस किया। दशहरे का यह आयोजन केवल एक धार्मिक त्योहार ही नहीं, बल्कि एक परंपरा बन चुका है, जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलती आ रही है। भवनियापुर बनघुसरी के दशहरे में केवल कंस वध ही नहीं, बल्कि भगवान कृष्ण की कई प्रमुख लीलाओं का भी मंचन किया जाता है। इनमें कृष्ण जन्म, पूतना वध, कालिया मर्दन, मखसाना लीला, रजक वध, और कई अन्य लीलाएं शामिल हैं। इन लीलाओं का मंचन निपुण कलाकारों द्वारा अत्यंत प्रभावशाली ढंग से किया गया, जिसने उपस्थित दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। कृष्ण के रूप में बाल कलाकारों ने अपनी अदाकारी से लोगों के दिलों में विशेष स्थान बना लिया। पूतना वध और कालिया मर्दन की लीला विशेष रूप से दर्शकों के बीच चर्चा का विषय बनी रही। इन लीलाओं के माध्यम से भगवान कृष्ण की बचपन की वीरता को दर्शाया गया, जहां उन्होंने पूतना नामक राक्षसी का वध किया और कालिया नाग को पराजित किया। इन प्रसंगों को देखने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु और दर्शक यहां आते हैं और इसे आस्था और मनोरंजन के संगम के रूप में अनुभव करते हैं। दशहरे के आयोजन के दौरान दिनभर की लीलाओं के बाद रात में सांस्कृतिक कार्यक्रमों की एक श्रृंखला आयोजित की जाती है, जिसमें रामलीला का भव्य मंचन होता है। इस वर्ष भी श्रीराम के जन्म से लेकर श्रीराम विवाह तक की कथाओं का मंचन किया गया, जिसे देखकर दर्शक भावविभोर हो गए। रामलीला के कलाकारों ने अपनी बेहतरीन अदाकारी से मंचन को जीवंत बना दिया। इसके अलावा, सांस्कृतिक कार्यक्रमों में पारंपरिक नृत्य, नौटंकी, और नाटक भी प्रस्तुत किए गए, जो दशहरे की शोभा को और बढ़ाते हैं। नृत्य कलाकारों ने अपनी अद्वितीय कला से दर्शकों का दिल जीत लिया, जबकि नौटंकी और नाटक के माध्यम से समाज में व्याप्त कुरीतियों और बुराइयों पर व्यंग्यात्मक ढंग से चोट की गई। भवनियापुर बनघुसरी का दशहरा केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं है, बल्कि यह चित्रांश समाज और पूरे क्षेत्र का गौरव है। यह आयोजन कई दशक पुराना है और इसकी परंपरा आज भी उसी धूमधाम से निभाई जा रही है। इस आयोजन के पीछे चित्रांश समाज का महत्वपूर्ण योगदान रहा है, जो इसके आयोजन और संरचना में सक्रिय भूमिका निभाता है। इस वर्ष भी चित्रांश समाज के अध्यक्ष चतुर्भुज सहाय, प्रबंधक आनंद प्रकाश, अनुराग प्रकाश श्रीवास्तव ने आयोजन की व्यवस्थाओं को बेहतरीन ढंग से संचालित किया। उनके साथ-साथ क्षेत्रवासियों का भी आयोजन को सफल बनाने में महत्वपूर्ण सहयोग रहा। समाज के विभिन्न वर्गों और धार्मिक संगठनों ने इस उत्सव में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और इसे सफल बनाने में योगदान दिया। दशहरे के इस आयोजन में उमड़ी भारी भीड़ को देखते हुए, नानपारा पुलिस प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए थे। मेले और कार्यक्रम के दौरान कोई भी अप्रिय घटना न हो, इसके लिए जगह-जगह पुलिस बल तैनात किया गया था। पुलिस की सतर्कता और प्रभावी व्यवस्थाओं के चलते लोग बिना किसी चिंता के दशहरे के पर्व का आनंद ले सके। पुलिस के साथ-साथ स्वयंसेवकों ने भी भीड़ को नियंत्रित करने और व्यवस्था बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कार्यक्रम को सफल बनाने में के के श्रीवास्तव, रासु, विजय कांत श्रीवास्तव, रमाकांत, अनिल, सौरभ, सतीश श्रीवास्तव, निर्मल श्रीवास्तव, दिलीप श्रीवास्तव और दुर्गेश उर्फ निक्की श्रीवास्तव, राजेश श्रीवास्तव, रामजी श्रीवास्तव सत्यम श्रीवास्तव, ध्यान प्रकाश श्रीवास्तव आदि चित्रांश परिवार का व्यवस्था में विशेष सहयोग रहा।

About cmdnews

Check Also

बहराइच – बलहा का ग्राम पंचायत जगन्नाथपुर शेरे बेचाई भ्रष्टाचार और अव्यवस्थाओं की गिरफ्त में, महीनो से लटकता ताला

रिपोर्ट – विवेक श्रीवास्तव बलहा, बहराइच – ग्राम पंचायत जगन्नाथपुर शेरे बेचाई जिला बहराइच के …

Leave a Reply