बहराइच/उत्तर प्रदेश
छठ ब्रती महिलाओं ने उगते सूर्य को अर्घ्य दिया,,,
– उत्तर प्रदेश के बहराइच में आस्था और संस्कार के पर्व छठ का उगते सूर्य को अर्घ्य के साथ समापन हो गया है।रविवार सुबह नदी, तालाब और नहरों के पानी में उतरकर महिलाओं ने भगवान भास्कर को अर्घ्य देकर व्रत का समापन किया और संतान के कल्याण के लिए मुरादें मांगी। अर्घ्य देने के बाद छठी मइया के लिए बनाए गए खास ठेकुआ और प्रसाद लोगों में बांटा गया। चार दिनों तक चलने वाला यह व्रत 31दिसम्बर को नहाय खाय के साथ शुरू हुआ था। इस दौरान लोग भक्ति भाव में डूबे नजर आए और नदियों के किनारे आस्था का सैलाब देखने को मिला।
इस बार देश भर में छठ की छटा देखकर अहसास हुआ कि यह अब कुछ क्षेत्रों तक सीमित नहीं है। देश की राजधानी दिल्ली से लेकर लखनाऊ,पटना, बिहार और मुंबई हर जगह एक समान आस्था और श्रद्धा के साथ लोगों ने छठ का महापर्व मनाया।
बहराइच के विभिन्न घाट पर महिलाओं ने तड़के सवेरे घाट पर जाकर पूजा की तैयारी की और फिर उगते सूर्य को अर्घ्य दिया,,सभी के परिवारजन अपने क्षेत्र के तालाब,सरोवर,नदी,पोखरों में
खडे़ होकर, व्रतियों को उदीयमान सूर्य को दूसरा अर्घ्य देने में सहयोग किया।
::- डूबते सूर्य को दिया अर्घ्य -::
इससे पहले शनिवार को नदी में उतरकर अस्त हो रहे सूर्य को दूध और जल से अर्घ्य दिया गया। इस दौरान घाटों पर नए वस्त्र धारण कर पूजन करने लोग पहुंचे थे। छठ का व्रत काफी मुश्किल होता है इसलिए इसे महाव्रत भी कहा जाता है। इस दौरान छठी देवी की पूजा की जाती है। छठ देवी सूर्य की बहन हैं लेकिन छठ व्रत कथा के अनुसार छठ देवी ईश्वर की पुत्री देवसेना बताई गई हैं।
::- दिवाली के छठे दिन शुरू होता है त्योहार -::
बता दें कि हर साल दिवाली के छठे दिन यानी कार्तिक शुक्ल की षष्ठी को छठ पर्व मनाया जाता है। इसकी शुरुआत चतुर्थी को नहाय-खाय से होती है। अगले दिन खरना या लोहंडा जिसमें गन्ना के रस से बनी खीर प्रसाद के रूप में दी जाती है। षष्ठी को डूबते सूर्य और सप्तमी को उगते सूर्य को जल चढ़ाकर इस पर्व की समाप्ति होती है। छठी मइया को अर्घ्य देकर संतान प्राप्ति और उनके अच्छे भविष्य की कामना की जाती है।
रिपोर्ट: अनुराग शर्मा