FATHER DAY पर अपनी कुछ अंतरात्मा की पुकार:लेखक संपादक के पिता,जीवनी😔सहित
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16/06/2019
प्रमुख खबरें, संपादकीय
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लेखक-कन्हैया लाल श्रीवास्तव-संपादक के पिता
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आधुनिक युग के मेरे प्यारे बेटो एवं बेटियो
भारत देश ऋषि मुनियों का देश रहा है। जैसा कि वेद पुराण में वर्णित किया गया हैं, परसुराम जी ने अपने पिता के आदेश पर अपनी माता का सिर काट दिया था, जिससे पिता प्रसन्न होकर वरदान मांगने को कहा था तब परसुराम जी ने कहा था कि मेरी माँ को जीवित कर दो और वो पुनः जीवित हो गईं।
माता पार्वती दैनिक क्रिया में लिप्त थी, एवं अपने सुरक्षा हेतु भगवान गणेश जी को द्वार पर बैठा दिया था, शंकर जी के लाख कहने के बावजूद उन्हें अंदर नही आने दिया जिससे भगवान शंकर क्रोधित होकर भगवान गणेश जी का सिर काट दिया था। फिर माता पार्वती का विकराल रूप देखकर सभी देवी देवताओं ने मिलकर एक हाथी का सिर काट कर के गणेश जी को लगा कर पुनः जीवित किया था। जो कि आजकल के पूजा पद्धति में प्रथम नाम गणेश जी का लिया जाता है।
वैसे मैं भी एक नालायक किस्म का व्यक्ति था। जहाँ तक मेरी जानकारी है मेरे माता-पिता ने अपने बुजुर्गों की सम्मान के लिए कई सरकारी नौकरी छोड़कर पुनः अपने जन्म स्थान ग्राम पतरहिया में रहने लगे थे।
उस वक्त हमारी उम्र लगभग 15-16 वर्ष की थी।
मेरे पिता के परिवार के लोगो ने कई बार मेरे माता-पिता को मानसिक एवं शारीरिक यातनाएं दी जिसके कारण तनाव में रहने लगे, और आखिर में नशा का सेवन करने लगे। इस समय मेरे माता-पिता स्वर्गवासी हो गए है।
मैं पढ़ाई के साथ साथ राजनीति कैरियर में भी जुड़ने का प्रयास किया और ईश्वर की इक्षा से सफल भी हुआ। पूजनीय पूर्व मुख्यमंत्री श्री नारायण दत्त तिवारी जी मुझे अपने बेटे की तरह मानते थे। और मेरे पिता के स्वर्गवास जाने के बाद उन्होंने मुझे पत्र व्यवहार के माध्यम से शोक संवेदना भी व्यक्ति की थी जिसका रिकॉर्ड आज भी मेरे पास है।
किन्ही कारणवश मेरे पिता जी ने कई बैंक से ऋण लिया था। और अपने आत्मा के शांति के लिए राम जन्म भूमि अयोध्या से चित्रकूट चले गए थे। और अपना ध्यान परमपिता परमात्मा में लगा दिया था उस समय मैं जहां तक मुझे याद है कक्षा 9 या 10 में था। मैं और मेरे गांव के एक पूजनीय विप्र जो स्वर्गवासी हो गए है, जाकर चित्रकूट से कई दिन तक ढूढ़ने के बाद और मेरे पिता वहां के ऋषि मुनियो के समझाने से घर आये। मेरे दो बहन व एक भाई है जहाँ तक मुझे होश है। मेरे शादी शुदा होने के बाद पिता जी के स्वर्गवास होने के बाद सारा समय माता पिता की एवं अपने कुल की मर्यादा के लिए अपने कैरियर को आधे से अधिक बर्बाद करके भाई एवं बहनो का एवं अपने माता का भरण पोषण किया और फिर अपने भाई एवं बहनो की शादी की।
मेरे गुरू श्री रहमतअली हाशमी एडवोकेट तहसील नानपारा ने मुझे कक्षा 11 से बी0ए0 तक पढ़ाया और मेरी घर की सारी समस्याओं में पूर्ण रूप से सहयोग दिया। क्योंकि मेरे यहाँ आर्थिक स्थिति ठीक नही थी। ऋण जमा करने एवं शादी विवाह में एवं अपने पढ़ाई के लिए अपने हिस्से की पूरी जमीन बेचकर घर की समस्या का समाधान करने के बाद अपने पत्नी एवं माता व अपने बच्चों को लेकर ग्राम नानपारा देहाती (नई बस्ती निकट साआदात इंटर कॉलेज नानपारा) में जमीन खरीद कर रहने लगा। इस समय मेरे दो लड़के बड़े का नाम विवेक श्रीवास्तव है जो कि समाचार पत्र का संपादक है तथा छोटा लखनऊ में जिसका नाम शोभित श्रीवास्तव है पॉलीटेक्निक की तैयारी कर रहा है। किराये पर मकान लेकर रह रहे हैं।
मैं अक्सर जब भी वहाँ जाता हूँ, अपने भांजे को जिसका नाम मुकेश श्रीवास्तव है, को शिक्षा सम्बन्धी बात करते हुए पाता हूँ।
इस समय मेरी बड़ी लड़की आराधना जो कि इस सत्र हाईस्कूल की परीक्षा पास हुई है। एवं छोटी लड़की प्रतिभा JP GIRL INTER COLLEGE नानपारा में पढ़ रही है।
इस सारे कार्यो मे मेरी पत्नी नीलम श्रीवास्तव ने अपने सारे सुख शांति को त्याग कर अपने घर के बुजुर्गों एवं मेरे घर के बुजुर्गों के सम्मान में आधी से अधिक जिंदगी लगा दिया है। वह दिन रात अथक मेहनत करती हूं, और घर को सुचारू रूप से चलाने मे अपना सम्पूर्ण एवं सर्वस्व न्योछावर करती है। बीमार होते हुए भी वह दिन रात एक करके घर के काम करती है। मेरे सुबह क्षेत्र में जाने से पहले , वह सुबह 4 बजे उठकर नित्यक्रिया करके भगवान का पूजन करके मेरे लिए भोजन बना देती है।
मैं अपनी बड़ाई नही कर रहा तथा अंतर्मात्मा से अपनी पत्नी को ढेर सारा आशिर्वाद देते हुए उन्हें स्वस्थ एवं सुखी रहने के लिये ईश्वर से हर वक्त प्रार्थना किया करता हुँ।
मै एक अच्छे पति की तरह पति धर्म नही निभा सका , फिर भी वो हर समय मुझे दुवाएँ देती रहती है। मेरे बच्चे इस वक्त कभी कभी क्रोध में आकर मुझसे सवाल पूछते है, की आपने आधे से अधिक जिंदगी रुपिया कमाया है लेकिन हमारे लिए क्या किया है।
उस वक्त मुझे मानसिक रूप से कष्ट होता है।
मैं यह सारी बातें अपने घमण्ड एवं अहंकार के लिए आज फादर डे पर यह बातें नही लिख रहा हूँ।
मैं अपने अंतर्मन की पीड़ा को लिख रहा हूं। तथा 21 वीं शदी के बच्चों को यह कहना चाहता हूँ, की अपने बुजुर्गों का सम्मान करें।
मेरी बाते अगर बुरी लगी हो तो अपने आप को बड़ा समझ कर मुझे माफ़ कर दें।
मेरा एक बार एक्सीडेंट 2005 में हो चुका है, तब से बराबर ईश्वर की मर्जी से दवा खाकर अपने कर्म का पालन कर रहा हूँ। मैं अपने माता पिता एवं गुरू के आशीर्वाद से इस समय तहसील नानपारा जनपद बहराइच में राजस्व संग्रह अमीन के पद पर अपने आप को एक छोटा कर्मचारी मानते हुए, गौरवशाली महसूस कर रहा हूँ।
ईश्वर आप लोगो को सद्बुद्धि दे आज “फादर डे” पर मैं अपनी माता-पिता एवं बुजुर्गो से सिर्फ प्रार्थना कर रहा हूँ कि वो जहाँ कही हो ईश्वर जाने, मेरे ऊपर कृपा दृष्टि बनाये रखे।
अपने ह्रदय से
लेखक- कन्हैयालाल श्रीवास्तव
राजस्व संग्रह अमीन
नानपारा- बहराइच, उत्तर प्रदेश
9450751639
कैरियर मार्ग दर्शक समाचार पत्र {CMD NEWS}के संपादक विवेक कुमार श्रीवास्तव के पिता श्री कन्हैया लाल श्रीवास्तव