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गोण्डा: जब अस्पताल खुद बीमार, तब कहाँ होगा उपचार


सुनीलतिवारी
ब्यूरो चीफ गोंडा

शासन द्वारा व्यवस्था के कायाकल्प व उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश का रूप देने के हर प्रयास पर शासन के ही कर्ता धर्ता भारी पड़ रहे हैं | जहाँ सरकार अपने चहुँमुखी विकास व भ्रष्टाचार मुक्त शासन का गुणगान करती फिर रही है वहीं सरकारी तन्त्र हर मोड़ पर सरकार की किरकिरी कराने पर तुला हुआ है | सरकार द्वारा ग्रामीण स्तर पर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए प्रत्येक ग्राम पंचायत में स्वास्थ्य उपकेंद्र का निर्माण और इन पर स्वास्थ्य कर्मियों की तैनाती की गई थी | किन्तु विभागीय सेटिंग के कारण न तो इन केन्द्रों के ताले खुलने की नौबत आई और न ही इन पर तैनात कर्मचारियों को अपनी जिम्मेदारी का एहसास हुआ | सन 2012-13 में निर्मित ग्राम पंचायत नन्दौर का स्वास्थ्य उप केन्द्र इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है | जो कि निर्मित होने के बाद आज तक अपने मातहत की बाट जोह रहा है | सन 2011-12 में निर्मित हुए इस स्वास्थ्य केन्द्र में तीन साल मतलब 2015 तक किसी की तैनाती नहीं हुई सन 2015 में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पसका में तैनात ए एन एम श्री मती शीला को इस उप केन्द्र का भी चार्ज दिया गया इसके बाद जुलाई 2019 में इस उप केन्द्र पर ए एन एम मीनाक्षी को तैनात किया गया | 8 साल पुराने इस स्वास्थ्य केन्द्र के अन्दर आज तक एक दिन भी वांछित कार्य का निष्पादन नहीं हुआ | इस केन्द्र के आस पास घास फूस व गंदगी ने अपना डेरा जमा रखा है |केन्द्र के बाहर लगे हुए एक मात्र हैण्डपम्प का पानी भी विभागीय लोगों की नजर के पानी की तरह सूख चुका है | इस केन्द्र पर तैनात ए एन एम मीनाक्षी हफ्ते में एक या दो दिन आकर बगल में ही स्थित आँगनबाड़ी केन्द्र पर बैठकर औपचारिकता पूरी करके वापस लौट जाती हैं उन्होंने परसपुर में कमरा ले रखा है | फोन पर उन्होंने बताया कि केन्द्र की चाभी अभी तक उनको नहीं दी गई है जो कि पूर्व कार्यकारी ए एन एम शीला के ही पास है | पूर्व ए एन एम से बात करने पर उन्होंने बताया कि मैंने तो कई बार उन्हें कहा लेकिन शायद उन्हें जरूरत ही नहीं पड़ी चाभी की | अब चाभी के इस लेन देन के पेंच में बंद पड़े इस स्वास्थ्य केन्द्र का स्वास्थ्य खुद ही खराब हुआ पड़ा है जिसे जल्द से जल्द इलाज की आवश्यकता है | किन्तु इलाज करने वाले भी अपने सही इलाज की प्रतीक्षा में हैं |

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