रिपोर्ट- विवेक श्रीवास्तव
नानपारा बहराइच- पिछले दिनों आए आंधी और पानी से जहां एक और लोगों ने राहत की सांस ली वहीं लकड़ी माफियाओं और वन विभाग के अधिकारियों ने भी मौज करनी शुरू कर दी।
वन रेंज नानपारा के क्षेत्र में सैकड़ो बाग एवं पेड़ बाहुल्य क्षेत्र हैं जिस कारण पिछले दिनों आई आंधी में भारी संख्या में वृक्ष गिर गए और कुछ पेड़ तो जड़ से गिर गए और कुछ पेड़ के शाखाएं टूट गई इसके पश्चात लकड़ी माफियाओं का दल सक्रिय हो गया और गांव-गांव में घूम कर वृक्षों को खरीदारी जारी हो गई खरीद के पश्चात वृक्षों को काटन करके दो हिस्सों में बांटने का खेल शुरू हो गया एक हिस्सा वह रहा जिसमें पतली डालें रही और दूसरा हिस्सा हो रहा जिसमें कीमती बोटे रहे और दोनों का बिना लोडिंग परमिट बनवाए ही अवैध ठेकियों एवं आरा मशीनों तक वृक्षों की लकड़ियों को पहुंचाने का खेल जारी हो गया और यह खेल भारी मात्रा में राजस्व को नुकसान पहुंच रहा है वन रेंज नानपारा के अधिकारी की अत्यधिक शिथिलता के कारण ही यह सब संभव हो पा रहा है या फिर मिली भगत से यह एक प्रश्न चिन्ह है सूत्रों ने बताया है कि वन विभाग नानपारा के अधिकारियों एवं कथित माफिया लकड़ी के ठेकेदारों के बीच मीटिंग हो चुकी है और विभाग का भारी राजस्व का नुकसान करने की सहमति हो चुकी है। भारी मात्रा में आंधी में गिरे पेड़ों जो की काटन के लिए प्रतिबंधित वृक्ष है यदि उन पर नियमानुसार कार्यवाही की जाए या फिर लोडिंग परमिट विभाग के द्वारा जारी होने की प्रक्रिया को नजर अंदाज न किया जाए तो लाखों रुपए की विभाग की राजस्व का फायदा होना निश्चित है। यदि नियम की बात की जाए तो प्राप्त जानकारी के अनुसार जो वृक्ष किसी भी वाहन पर लादकर लाये जा रहे हो चाहे वह लकड़ी के रूप में हो उन पर वन विभाग को 3/28 एक्ट की कार्यवाही करनी होती है और नियम तो यह भी है कि वृक्ष के गिरने के बाद वन विभाग को सूचना देने ट्रांसपोर्ट अर्थात लोडिंग परमिट बनने के बाद ही पेड़ो को वहां से लादकर दूसरी स्थान पर पहुंचा जा सकता है और उसका घन मीटर के हिसाब से लोडिंग परमिट बनाई जाती है एवं टन के हिसाब से उसका राजस्व निर्धारित किया जाता है एवं समय निर्धारित कर दिया जाता है कि इस समय में वृक्ष को उठाना है लेकिन सभी नियमों को दरकिनार करके वन रेंज नानपारा के अधिकारी आखिर शिथिल है या फिर मिली भगत के शिकार यह प्रश्न खड़ा होता है?