मुदस्सिर हुसैन CMD NEWS
अयोध्या – गर्मी का मौसम शुरू होते ही ग्रामीण क्षेत्रों में अपमिश्रित आइस्क्रीम व खुले खाद्य पदार्थ बेचने वालो ने घर घर और चौराहों पर दस्तक देना शुरू कर दिया है। इन अशुद्ध खाद्य पदार्थों को खाकर अक्सर बच्चें ही चपेट में आते हैं। प्रदूषित खाद्य पदार्थ के कारोबार में लिप्त व्यक्तियों पर अंकुश लगाने में संबंध विभाग पूरी तरह विफल नजर आ रहा है। उक्त मिलावटी पदार्थ को बनाने के संबंध में कतिपय लोगो से जानकारी ली तो पता चला कि इसमें डबल रोटी और केक का चूरा मिलाकर व अप्रमाणित दूध और इसमें मिठास का स्वाद घोलने के लिए चीनी के जगह शिकरीन , खोया की जगह आरा रोट आदि मिलाकर आइस्क्रीम तैयार की जाती है। जिससे लोग खास कर बच्चे अपनी अज्ञानता के चलते बड़े शौक से खाते हैं। साइकिल और ठेलियो पर खाद्य पदार्थ के रूप में लदा यह बीमारी का बक्शा और हैंडिल पर बंधे भोंपू की आवाज सुनाते विक्रेता लगभग हर गांव में टहलते नजर आयेंगे। नेवरा, संदवा,रानी मऊ,पटरंगा,बाबा बाजार,आदि गांवों में भ्रमण शील यह विक्रेता अपने कारोबार में सक्रिय मिलेंगे। इसी तरह फलों के दुकानदार ठेलो खुमचो पर लगाने वाले गन्ने के रस और चाट मिस्ठान आदि के धंधे से जुड़े विक्रेता बेरोकटोक इस क्षेत्र में हर छोटे बड़े चौराहों पर अपनी दुकानें संचालित किए हैं। जिसपर स्वास्थ्य विभाग का ध्यान केंद्रित नही हो पा रहा है। और विभाग भी मूक बना बैठा है। मानव स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करने वाले बेरहमी कारोबारी खाद्य पदार्थों में हानिकारक पदार्थ मिलाने से नही चूकते । ऐसी दशा में उक्त खाद्य पदार्थ के सेवन से भला कैसे स्वास्थ्य बेहतर हो सकता है। बाजारों में बिक रहा खाद्य पदार्थ क्या लोगों के स्वास्थ्य के लिए बेहतर है या नही? खाने वाला नहीं जानता, इसी तरह ग्रामीण क्षेत्रों में बिस्कुट बनाने वाली बेकरियां भी मानक की अनदेखी कर धड़ल्ले से लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रही है। न इनके fssai का प्रमाण पत्र है, आखिर मानक विहीन यह बेकरीयां कैसे चल रही है। इन पर आखिर किसी की नजर क्यों नहीं पहुंचती, या इन्हे शरण प्राप्त है। आला हकीमो की।