रिपोर्ट -अनिल कुमार
मसौली बाराबंकी। मनुष्य की उत्पत्ति कैसे हुई इसके बारे में कस्बा मसौली के माली मोहल्ला के दुर्गा मंदिर में चल रही , श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के दौरान नैमिषारण्य से आयी कथावाचिका रेखा शास्त्री ने श्रोताओं को मनु सतरुपा की कहानी बताते हुए ” बताया कि मनु व सतरुपा से ही मनुष्य की उत्पत्ति हुई है।
कथावाचिका रेखा शास्त्री ने कथा में सुनाया कि मनु को शासन करते बहुत समय बीत गया और बुढ़ापा नजदीक देख चिता सताने लगी कि हम लोगों का सारा समय बिना हरि भक्ति के ही बीत गया तब पुत्र उत्तानपाद को राज्य सौंप कर दोनों ने प्रसिद्ध नैमिषारण्य तीर्थ की ओर गमन किया। एक ही उद्देश्य था कि कैसे भी प्रभु का दर्शन हो जाए। मन में प्रभु के दर्शन की अभिलाषा रखे छह हजार वर्ष बीत गए तो जल का भी त्याग कर केवल वायु पर निर्भर हो गए और जब दस हजार वर्ष बीत गए तब वायु का भी त्याग कर दिया। दोनों एक पांव पर तपस्या करने लगे, उनकी यह अडिग तपस्या देख भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश कई बार मनु के समीप आए और कई प्रकार के प्रलोभन दिए। दोनों को विचलित नहीं कर पाए। उनकी इस तरह की तपस्या से श्री प्रभु प्रसन्न हुए और आकाशवाणी से बोले जो वर मांगना है वह मांगो। मनु दंडवत होकर के बोले कि हे प्रभु यदि आप प्रसन्न हैं तो कृपया आप अपना स्वरूप दिखाएं जो शिवजी और काकभुसुंडि जैसे परम भक्तों के मन में सदैव बसा रहता है। इस पर सर्व समर्थ भगवान श्याम वर्ण में प्रकट हुए। भगवान का दर्शन पाकर मनु-सतरूपा खुश होकर प्रभु के चरणों से लिपट गए। महाराज मनु और शतरूपा बोले कि मुझे आप के समान पुत्र चाहिए। इसपर भगवान ने वरदान दिया कि हे राजन मैं आपके पुत्र के रूप में आऊंगा। मनु के दो पुत्र व तीन पुत्रियां थी।
कथा में रमेश मौर्या, सुरेश नाग, शुभम नाग, पप्पू सैनी, जीतू नाग, वीरू नाग, संजय नाग, पंकज नाग सहित तमाम भक्तिगण मौजूद रहे।