नोट बन्दी के बाद अब नेट बन्दी के नाम पर उपभोताओं से किया जाता है लूट घसोट
👉बाहर से आयातित दलाल सहित आधा दर्जन स्थानीय बैंक दलाल
👉खुद के जमा पैसों को निकालने का देने पड़तें हैं रिश्वत
👉पासबुक जारी करवाने को देने होते हैं दो सौ रुपये
👉किसान क्रेडिट कार्ड/सी.सी.लिमिट बनवाने हेतु धनिराषि का 8 से 10 प्रतिशत
👉भुकतान के चेकों को पोष्ट के नाम पर प्रति चेक सौ से दो सौ रुपये।
बहराईच:- अभी तक जहां परिवहन विभाग में कार्य कराने की बात हो तो वहां पर सैकडों की संख्या में दलालों के तख्त शोरूम कार्यालय के बाहर इर्द गिर्द सजे देखने को मिलतें हैं क्योंकि बिना दलाल परिवहन विभाग में कोई भी कार्य कराना आसान नही होता ऐसे में जनपद बहराईच का लीड बैंक का तमगाधारी इलाहाबाद बैंक शाखा बाबागंज पीछे कहाँ रह सकता है। उसी सीख को लेकर और उसी नक्शे कदम से एक और कदम आगे है।जो उनके द्वारा पाल्य दलाल बैंक के अंदर ही रह कर उन्हें क्षेत्र की जनता के निगाह में ‘बाबू जी’ के नाम प्रस्तुत कर अवैध वसूली को अंजाम दे रहे हैं।विदित हो कि ब्लाक नवाबगंज मुख्यालय बाबागंज स्थिति शासन की ओर से जनपद बहराईच का लीड बैंक का तमगाधारी इलाहाबाद बैंक शाखा बाबागंज जो बैंक कर्मियों द्वारा संचालित न होकर यहां पर बैंक मैनेजर व बैंक कर्मियों द्वारा पाल्य आधा दर्जन दलालों द्वारा संचालित किया जा रहा है।नासिर नाम का एक दलाल दलालों का मुखिया भी है जो बैंक मैनेजर मुकुल जौहरी द्वारा बाहरी जिले अमरोहा से आयातित कर रखा गया है।उपरोक्त बैंक शाखा कई दश्कों पूर्व स्थापित होने की वजह से कई हजार की संख्या में उपभोक्ता इस बैंक से लाभान्वित खातेदार हैं।जिसके कारण दिन भर हजारों की संख्या में उपभोक्ताओं की भीड़ का बना रहना लाजमी है।जिस से भोर होते ही उपभोक्ता जमा निकासी के लिये बैंक को पहुंचने लगते हैं।तथा बैंक कर्मियों के आने से पहले उनके द्वारा अधिकृत पाल्य दलालों का जमावड़ा लग जाता है।लेकिन बैंक कर्मी निर्धारित बैंकिंग समयानुसार अपनी टेबल पर न बैठकर लगभग 11 बजे से अपने निर्धारित पटल पर उपभोक्ताओं का कार्य करने को बैठना जो एक भीड़ रूपी लाईन पैदा करती है।फिर कुछ छडों के बाद नेट फेल होने अथवा कैश न होने का अफवा बैंक कर्मियों व दलालों द्वारा फैला दिया जाता है।बस यहीं से शुरू होता अवैध वसूली का धंधा।सुबह से लाईन में लग कर उपभोक्ता शाम तक नेटवर्क व कैश आने का इंतजार कर शाम ढलने के बाद अपने अपने घरों को चले जाते हैं,फिर ये दलाल अपने कामों के अंजाम में लग जाते हैं।तथा भोली भाली अनजान जनता हफ्तों दौडते रहते हैं।इस बैंक की खास बातों में एक बात और है कि प्रिंटर खराब होने का बहाना बता कर किसी भी उपभोक्ता के पासबुकों पर जमा निकासी शेष धनिराषि न तो प्रविष्ट किया जाता है और न ही प्रिंट किया जाता।इसी तरह उपभोक्ताओं के साथ बैंक कर्मियों द्वारा छल कपट व धोखा धड़ी के क्रम में उनके द्वारा नगदी व भुकतान चेकों के जमा करने की प्राप्ति रसीदों को बिना हस्ताक्षर व मुहर के पकड़ा दिया जाना आम बात का होना इस बैंक की खासियत में है,जिस से यह बैंक हमेशा विवादों में घिरा रहता है।फिर उसका खामियाजा पीड़ित उपभोक्ता को भुगतना होता है उपभोताओं की किन्ही समस्या पर अगर यहां के बैंक कर्मियों से कोई उत्तर चाहता है तो समुचित उत्तर तो नही दिया जाता बल्कि उपभोक्ता चाहे महिला हो या पुरुष उसके साथ अभद्र व्यवहार व मां बहन की गालियों के साथ पुलिस बुला कर बन्द करा देने की धमकी दी जाती है जो अक्सर प्रतिदिन देखने को मिलता है जैसा कि बोर्ड व होल्डिंग से आगे तो कोई व्योसायिक बैंक है लेकिन अंदर के कर्मचारियों की भाषा शैली से पता लगता है कि यह तो बिना वर्दी वाला पुलिस स्टेशन है।फिर उपभोक्ता कहाँ जाये क्योंकि दर्जनों की संख्या में बैंक कर्मियों के गलत व्योहार व भाषा शैली को लेकर सम्बंधित एवम उच्च जिम्मेदार सक्षम बैंक अधिकारियों को शिकायतें दी जाती हैं लेकिन कमाऊ शाखा होने की वजह से कोई अंकुश नही लग पा रहा है बेचारी जनता दर दर की ठोकरें खाने को मजबूर होती हैं।रही बात पाल्य दलालों की लगभग आधा दर्जन दलाल इस बैंक का ताला खोलने से ताला बंद होने के साथ साथ अनाधिकृत सीटों व काउन्टरों पर बने रह कर उनकी ठाठ बाट से जैसा कि वह बैंक कर्मचारी हों दिन भर बैंक कार्यों का सम्पादन उनके द्वारा किया जाता है।जिस कारण पीड़ित उपभोताओं को यह आभास हो कि जो भी कार्य कराना हो इनसे ही सम्पर्क करने से काम होने में मदद मिल सकती है,और आउटसोर्सिंग से ये दलाल काम के नाम पर सेम ब्रांच भुक्तान चेकों को अपने खाते में तत्काल पोष्ट कराने का प्रति चेक 100 से 200 रूपये,नया पासबुक जारी कराने के लिये 100 से 200 रुपये,जनधन खाते से 10000 रुपये से अधिक रुपये भुक्तान हेतु 100 से 200 रुपये,किसान क्रेडिट कार्ड/सी.सी. लिमिट आदि बनवाने में स्वीकृत धनिराषि का 8 से 10 प्रतिशत वसूली दलालों के माध्यम से बैंक कर्मचारियों द्वारा किया जाता है।चूंकि उपरोक्त बैंक लीड बैंक की शाखा होने की वजह से सरकार द्वारा संचालित विभिन्न जनकल्याणक़री योजनाओं की निधियां व ग्राम पंचायतों की निधियों का संचालन इसी ब्रांच से किया जाता है।ऐसे में इस बैंक कर्मियों का पैसों को भुक्तान करने के लिये कुछ हिस्सा तो बनता ही है जो कि सुविधा शुल्क के रूप में एक भुक्तान की प्रक्रिया बन चुकी है वरना बैंक का चक्कर लगाते रहो जिसका खामियाजा आम उपभोक्ता व लाभार्थियों को भुगतना ही पड़ेगा।
अब देखना है कि क्षेत्र की जनता को इस बैंक कर्मियों और दलालों के बीच बने संयुक्तरूपी उगाही के मकड़जाल से हो रहे दोहन से कब तक निजात मिल पायेगी।
मो० असरार ब्यूरो चीफ बहराइच