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सम्पादकीय: भारत को स्वंत्रता तो 15 अगस्त 1947 को मिल गयी थी लेकिन अभी बहुत कुछ बाकी था करने को

आज देश 71वां गणतंत्र दिवस मना रहा है, अर्थात भारत को गणतंत्र बने हुए 71 वर्ष हो चुके। भारत को स्वंत्रता तो 15 अगस्त 1947 को मिल गयी थी, लेकिन अभी बहुत कुछ बाकी था, करने को। केवल स्वंत्रता मिलने से ही सब कुछ नही मिल जाता, देश को एक सही मार्गदर्शन के लिए एक विधान की आवश्यकता होती है और वो भी भारत जैसे देश का विधान जो, कई वर्षों के गुलामी से आजाद हुआ था। जो अभी भी देश को एक करने के लिए बहुत चुनौती थी। भारत अपने स्वतंत्रता के समय ही पाकिस्तान के रूप में टूट चुका था तथा स्वतन्त्रता के समय उपजी हिंसा इन सबके लिए एक कानून की आवश्यकता थी, एक संविधान की आवश्यकता थी। स्वतंत्रता अधिनियम 1947 का यही प्रावधान था, की भारत और पाकिस्तान के रूप में दो राष्ट्र होगा और जो प्रान्त जिस राष्ट्र में मिलना चाहे मिल सकता है। सरदार वल्लभ भाई पटेल को इसीलिए प्रांतीय सभा का अध्यक्ष बनाया गया था।
पटेल ने छः सौ छोटी बड़ी रियासतों को मिलाया लेकिन यह विलय आसानी से नही हुई इसके लिए अथक प्रयास करना पड़ा।
जूनागढ़, शुरुआत में भारत के पक्ष में न होकर पाकिस्तान के पक्ष में था, लेकिन वहां के प्रजा के विद्रोह करने पर वहाँ का राजा पाकिस्तान भाग गया
हैदराबाद और जम्मू-कश्मीर स्वतन्त्र होना चाहता था। हैदराबाद को तो सैनिक के बल पर भारत में विलय करवा लिया गया लेकिन जम्मू-कश्मीर के राजा हरिसिंह भारत में विलय नही होना चाहते थे, उन्होंने तो तब विलय किया जब पाकिस्तान की सैनिको ने कश्मीर में हमला बोल दिया और उसको जबरदस्ती हासिल करना चाह रहा था, तब हरिसिंह ने भारत के साथ सन्धि की और सहायता मांगा और इस शर्त पर भारत में विलय हुआ, तब जाकर भारत जम्मू-कश्मीर में पाक सैनिकों को वापस खदेड़ दिया।
अब बात करते है, गणतंत्र की तो जब भारत आजाद हुआ तो उसका एक संविधान बनाने की आवश्यकता महसूस हुई और ऐसा संविधान जो कठोर भी हो और लचीला भी। लचीला इसलिए कि देश की जनता सैकड़ो वर्ष के गुलामी से उभरा था और जनता पर दबाव न महसूस हो उनका स्वतंत्रता महसूस हो तथा समयानुसार आवश्यकता पड़ने पर उसमे संशोधन भी करा जा सके तथा कठोर इस मामलें में की कोई प्रान्त दुबारा भारत से अलग न हो सके। इसलिए भारत को संघीय बनाया गया है, और सर्वोच्च शक्ति संसद में निहित की गई एवं राज्य को भी कुछ शक्ति दी गयी है, लेकिन अवशेष शक्ति केंद्र को ही दी गयी है।
भारत का एक अलग पृथक न्यायपालिका भी बनाया गया है, जो कार्यपालिका और विधायिका से स्वतंत्र होकर अपना कर्तव्य निर्वाह करता है।
भारतीय संविधान को 2 वर्ष 11 माह 18 दिन के बाद 26 नवंबर 1949 को पारित किया गया लेकिन संविधान लागू 26 जनवरी 1950 को किया गया। 26 जनवरी इसलिए दिनांक तय किया गया कि इसी दिन 26 जनवरी 1930 भारत को स्वाधीनता दिवस के रूप में भारतीय स्वतन्त्रता क्रांतिकारीयों के द्वारा लाहौर में ध्वजा रोहण किया गया था।
भारतीय संविधान को ऐसे ढंग से बनाया गया था, की देश अखण्ड रहे और स्वयंभू रहे, अर्थात इसके ऊपर किसी का स्वामित्व न रहे। भारत एक लोकतांत्रिक राष्ट्र हो, यहाँ का शासन सीधे जनता के हाथ में हो कुल मिलाकर जनता का प्रभुत्व हो।
भारत के उद्देशका में कहा भी गया है, की “हम भारत के लोग, भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्वसंपन्न, समाजवादी ,पंथनिरपेक्ष , लोकतंत्रात्मक गणराज्य, बनाने के लिए, तथा उसके समस्त नागरिकों को:

सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय,
विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता,
प्रतिष्ठा और अवसर की समता, प्राप्त कराने के लिए,
तथा उन सब में,
व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखण्डता सुनिश्चित कराने वाली, बन्धुता बढ़ाने के लिए,
दृढ़ संकल्पित होकर इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते है।”
संविधान में कहा गया है, की “हम भारत के लोग” अर्थात यहाँ के निवासी, भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्वसंपन्न, समाजवादी,पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य, बनाएंगे। सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न का मतलब हमारे ऊपर किसी का प्रभुत्व न हो, समाजवादी का अर्थ है की हमारा जो भी काम होगा वो समाज के प्रति ही होगा और हम लोक कल्याणकारी देश बनाए जिसमें अधिकतम लोगों को अधिकतम कल्याण हो। हमारा कोई भी धर्म न हो अर्थात हम सभी धर्म को मानने वाले हो पंथनिरपेक्ष हो, असहिष्णु न बनें सभी के प्रति दया भाव रखे सबको उनका अधिकार दें।
पहले आप-पहले आप की भावना रखे, सबको आदर भाव से देखे।
हमारे संविधान ने हमको न्याय की पूरी आजादी दी है एवं उसके साथ-साथ हमे छः मौलिक अधिकार भी दिए है, जिसमे समानता का अधिकार(अनुच्छेद 14 से 18), स्वतंत्रता का अधिकार(अनुच्छेद 19 से 22), शोषण के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 23 और 24), धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार(अनुच्छेद 25 से 28),
,संस्कृति और शिक्षा सम्बन्धी अधिकार(अनुच्छेद 29-30) तथा
संवैधानिक उपचारों का अधिकार(अनुच्छेद 32 से 35) दिया है।
इसके साथ-साथ संविधान ने हमे कुछ कर्तव्य भी दिए है, जो भाग-4 अनुच्छेद 51क में उल्लिखित है। उसको हमे अपने ह्रदय में संजो कर रखना चाहिए तथा अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए।
हमारे संविधान ने हमको बहुत कुछ दिया है, बस इसे सही से समझने की आवश्यकता है।
कुछ तथाकथित ऐसे लोग है जो संविधान की छवि धूमिल करना चाह रहे है, हमारे गणतंत्र को बदनाम कर रहे है।
अतः हमें ऐसे लोगों से सावधान रहना चाहिए,जागृत रहना चाहिए, लोगो को अपने संविधान की जानकारी देनी चाहिए तथा उसका सद्पयोग करना चाहिए। सभी को अपने संविधान का सम्मान करना चाहिए तथा उसमें उल्लिखित कर्तव्यों का पालन करना चाहिए। देशभक्ति केवल दिखावे में ही नही अपितु ह्र्दय से होनी चाहिए।
जय हिन्द


लेखक
~मुकेश श्रीवास्तव(राज्य लेखक) उत्तर-प्रदेश
कैरियर मार्ग दर्शक

(cmdnews.in)

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