मुदस्सिर हुसैन CMD NEWS
अयोध्या – कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, कृृषि,सहकारिता एंव किसान कल्याण विभाग भारत सरकार क्षेत्रीय जैविक खेती केन्द्र, गाजियाबाद द्वारा कृषि विज्ञान केन्द्र, मसौधा में एक दिवसीय जैविक एंव प्राकृतिक खेती पर एक दिवसीय कृषक प्रशिक्षण एंव प्रदर्शन कार्यक्रम उद्घाटन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि श्री गिरीश पति त्रिपाठी माननीय महापौर, अयोध्या विशिष्ट अतिथि डा. पी. के. कौन्जिया, उपनिदेशक कृषि निदेशक अयोध्या एवं डा बी पी शाही, वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष, कृषि विज्ञान केंद्र, अयोध्या रहे I कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित श्री गिरीश पति त्रिपाठी माननीय महापौर, अयोध्या , ने कहा कि भारत तथा विश्व समुदाय में विगत तीन-चार दर्शको में बढ़ती हुई जनसंख्या का भरण पोषण करने के लिए कृषि उत्पादन में रसायनिक खाद, जहरीले कीटनाशको का अधिक उपयोग एक हानिकारक स्तर पहुंच गया है।जो मनुष्य के स्वास्थ्य, मिट्टी एंव परिस्थितिकी के लिए हानिकारक है,वर्तमान में खाद गुणवत्ता सुनिश्चित करने के साथ- साथ पर्यावरण को स्वस्थ हेतु जागरूकता बढीं है बढ़ती हुई जनसंख्या का स्वस्थ भरण पोषण करने तथा मानव- पर्यावरण का सामंजस्य रखने के लिए जैविक खेती एक अपरिहार्य एंव मात्र विकल्प बची है एकीकृत नाशीजीव विधियों को अपनाएं तथा सभी किसानों के मध्य आई पी एम की लोकप्रियता को बढ़ाते हुए जैविक एवं प्राकृतिक खेती पर जोर दें। उन्होंने प्रगतिशील कृषकों को संबोधित करते हुये कहा कि आई.पी.एम. को बढ़ावा दें परिणामस्वरूप कम लागत के साथ गुणवत्तायुक्त कृषि उत्पाद प्राप्त करें I उन्होंने यह भी कहा कि बगैर रसायन के उत्पादित कृषि उत्पादों का राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में अधिक मूल्य प्राप्त कर सकते है। एकदिवसीय प्रशिक्षण प्राप्त करने आये हुए प्रगतिशील कृषकों को एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन की वर्तमान प्रासंगिकता तथा प्रशिक्षण कार्यक्रम की उपादेयता के बारे में बताया कि किसानों द्वारा फसलों को कीट एवं बीमारियों से बचाने के लिए रासायनिक कीटनाशकों का अनुचित एवं अंधाधुंध उपयोग किया जा रहा है I रासायनिक कीटनाशकों का अनुचित प्रयोग हर किसी के स्वास्थ्य के साथ-साथ पर्यावरण के लिए बेहद नुकसानदेह है I उन्होंने यह भी कहा कि आई.पी.एम. अपनाकर उत्पादन किये गए कृषि उत्पादों में रासायनिक कीटनाशक के अवशेष नहीं पाए जाते हैं परिणामस्वरूप कृषि उत्पादों के निर्यात में सहायता मिलती है जो कि किसानों की आय दोगुनी करने में एक महत्वपूर्ण विकल्प साबित हो सकता है I कार्यक्रम में बतौर विशिष्ट अतिथि उपस्थित डा पी. के कौन्जिया, उपनिदेशक कृषि ने कहा कि इंटीग्रेटेड पेस्ट मैनेजमेंट (आई.पी.एम.) ही एकमात्र विकल्प है जो रासायनिक कीटनाशकों के अनुचित उपयोग को कम कर सकता है I उन्होंने कहा कि रासायनिक कीटनाशकों के स्थान पर किसान जैविक कीटनाशकों के उपयोग पर जोर दें। डा बी पी शाही, प्रमुख के वी के ने प्रगतिशील कृषकों को सम्बोधित करते हुए कहा कि जैविक खेती से होने वाले लाभ प्रशिक्षण प्राप्त करने के उपरांत आप सब जैविक खेती एंव प्राकृतिक खेती अपनाने हेतु अन्य किसानों को प्रेरित करें और यदि जरूरत पड़े तो कृषि विज्ञान केंद्र समय समय पर प्रशिक्षण एंव प्रदर्शन कृषको के प्रक्षेत्र पर कराया जाता है। रवि कुमार सूर्यवशीं क्षेत्रीय जैविक खेती केन्द्र ने बताया केन्द्र द्वारा की गतिविधियो के बारे में विस्तृत रुप से जानकारी दी गयी ।कार्यक्रम का सफल संचालन डा विद्या सागर , वरिष्ठ वैज्ञानिक ने किया I केन्द्र के बैज्ञानिक पंकज कुमार सिंह ने जैविक एंव प्राकृतिक खेती करने के तरीके ,मृदा स्वास्थ्य प्रबन्धन एंव फसलो का पोषण प्रबन्धन के बारे में विस्तृत रूप से जानकारी दी। डा.प्रवीण कुमार मौर्य ने वर्मी कम्पोस्ट, नाडेप एंव हरी खाद के बारे में विस्तृत रूप जानकारी दी।केन्द्र के बैज्ञानिक डा राम गोपाल ने फसल सुरक्षा एंव ट्राईकोडर्मा के बारे में जानकरी दी।केन्द्र के बैज्ञानिक अमन कुमार जागरूक,घनजीवामृत तैयार करने के बारे में जानकरी दी।इस प्रशिक्षण में प्रगतिशील कृषक राजबहादुर वर्मा,उमा कान्त शुक्ला,राकेश वर्मा,राकेश दूबे, राम लौट वर्मा, र्ईश्वर कुमार, शबीना खातून प्रगतिशील महिला कृषक 50 कृषको ने भाग लिया।