देव कैफे बदायूं पर समर्थ काव्य समिति दहेमी बदायूं के द्वारा एक अनौपचारिक मासिक काव्य गोष्ठी आयोजित की गई
काव्य गोष्ठी का शुभारंभ श्री रामबहादुर व्यथित जी , सुरेंद्र नाज जी , श्री भूराज सिंह राजलायर श्री विष्णु असावा जी द्वारा दीप प्रज्ज्वलित करके किया गया ,
सरस्वती वंदना एटा से आए कवि फरीद अल्वी द्वारा प्रस्तुत की गई ।
कार्यक्रम के आयोजक शैलेंद्र मिश्र देव जी ने पढ़ा –
आना भी है जाना भी ,
खोना भी है पाना भी ।
क्यों इतने फूले फिरते ,
कुछ दिन ठौर ठिकाना भी ।
शैलेन्द्र मिश्र देव
भूराज सिंह राज लायर जी ने पढ़ा
पस्त जवानी हो जाती है अगले दिन
खत्म कहानी हो जाती अगले दिन
शोर शाम तक मर जता है बाबूजी
खबर पुरानी हो जाती है अगले दिन
भूराज सिंह राजलॉयर
युवा शायर उज्ज्वल वशिष्ठ जी ने पढ़ा -जुआ खेलें युधिष्ठिर शौक़ से पर ध्यान ये रक्खें,
कोई भी दाव पर अब द्रौपदी अच्छी नहीं लगती।
– उज्ज्वल वशिष्ठ
मोहित शर्मा जी ने काव्य पाठ प्रस्तुत किया –
अंधेरे लाख आये राह में गुजर जाऊँगा
हिम्मत हार के बैठा तो मर जाऊँगा
और तन्हा होने से पहले ये सोचा ना था
तन्हाई रास ना आई तो किधर जाऊँगा
बिल्सी से आए विष्णु असावा जी ने पढ़ा –
मौत आवाज देगी चले जायेंगे
बक्त के हाथ इकदिन छले जायेंगे
कार्यक्रम का संचालन कर रहे सुनील समर्थ जी ने पढ़ा –
कभी भी भूलकर भी न किसी का मन दुखाएं हम।
भले हालात हो कैसे भी लेकिन प्यार न हो कम।
बुजुर्गों की दुआएं ही हमेशा काम आती हैं।
हमेशा याद रखना इनकी कोई आंख न हो नम।।
विनोद कुमार बिन्नी जी ने पढ़ा
जब भी गुजरा हूँ पथरीली राहों से
पत्थर भी पिघले हैं मेरी आहों से।
दुनिया ने पत्थर फेंके उस दिन मुझपर
तौबा कर ली जिस दिन यार गुनाहों से।
विनोद सक्सेना “बिन्नी”
फरीद अल्वी जी ने पढ़ा –
लिखूं कहानी मैं वीरों के शौर्य और सम्मान की ,
सपथ उठाऊं बात करूं मैं उनके ही
हम कांच के थे खिलोने फिर भी उछाले गए।
जब जी भर गाया खेलकर तोड़ डाले गए।
ओजस्वी जौहरी
इसके अलावा गोष्ठी में पुष्पेंद्र शर्मा , तरुण सैनी , नितिन पटेल, अमन मयंक शर्मा , शिवेंद्र वार्ष्णेय एडवोकेट आदि मौजूद रहे।
बदायूँ से र्हारेशरण शर्मा ब्यूरोचीफ
9 अप्रेल 2023