CMDNEWS// रिपोर्ट,सुनील तिवारी
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गोंडा// सीएमओ डॉ आरएस केसरी का कहना है कि कोरोना कम जरूर हुआ है, लेकिन अभी पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है। कोरोनारोधी टीका और कोविड प्रोटोकॉल का पालन कर ही इससे बचा जा सकता है। इसीलिए सरकार हर किसी को यह टीका लगवाने के लिए कह रही है। सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों पर यह टीका मुफ्त लगाया जा रहा है। कोरोना से बचाव का टीका गर्भावस्था के शुरुआती माह से लेकर प्रसव तक कभी भी लगवाया जा सकता है।
उन्होंने बताया कि जो महिलाएं कोरोना से संक्रमित हुईं हैं, वह स्वस्थ होने के तीन माह बाद यह टीका लगवा सकती हैं। 35 साल से अधिक आयु की वह गर्भवती जो बीपी, शुगर अथवा अन्य गंभीर बीमारियों से ग्रसित हैं, उन्हें कोरोना का खतरा सबसे ज्यादा है। कोरोना रोधी टीका गर्भवतियों के लिए सुरक्षित है। उन्होंने यह भी बताया कि गर्भावस्था के दौरान जिन्होंने कोरोना रोधी टीके लगवाए, प्रसव के बाद उनमें और उनके शिशु में एंटीबॉडी पाई गई। सीएमओ का कहना है कि गर्भावस्था के दौरान प्लेसेंटा के जरिए गर्भस्थ शिशु को कोरोना से बचाव की वैक्सीन मिलती है, जिससे गर्भस्थ शिशु को कोई परेशानी नहीं होती है। उन्होंने स्तनपान कराने वाली महिलाओं से भी अपील की है कि वह भी बिना संकोच के कोरोनारोधी टीका लगवाएं।
माहवारी के दौरान भी लगवाएं कोविड का टीका
एसीएमओ डॉ एपी सिंह का कहना है कि वर्तमान में 18 साल से ऊपर के सभी लोगों को कोरोना से बचाव का टीका लगाया जा रहा है। ऐसे में किशोरियों के मन में यह सवाल भी है कि माहवारी के दौरान यह टीका लगवाना चाहिए या नहीं। इस संबंध में उनका कहना है कि माहवारी का टीके से कोई संबंध नहीं है। माहवारी के दौरान भी यह टीका लगवाया जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि यदि टीका लगने के बाद टीके की जगह दर्द हो या बुखार हो तो पैरासिटामॉल की गोली खा सकती हैं।