रामसनेही घाट, बाराबंकी।
09/06/2021
रिपोर्ट – डॉ0 एम0 एल0 साहू
कोरोना वायरस को देखते हुए लगभग 1 वर्ष से अधिक समय से देश को लॉकडाउन कर रखा है ।जिससे किसान बेरोजगार नाई बढ़ई, धोबी , कपड़ा व्यापारी फल ,विक्रेता सभी दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हो गए हैं। महंगाई चरम पर है ,डीजल ,पेट्रोल, कड़वा तेल, डालडा एवं सभी खाद्यय पदार्थों के दाम आसमान छू रहे हैं। रोजमर्रा काम करने वाले लोगों को काम नहीं मिलता, जिससे उन्हें घर चलाना मुश्किल हो रहा है ।तमाम लोग सोच सोच कर मानसिक बीमारी का शिकार हो रहे हैं। व्यापारियों को दुकान का किराया निकालना नाकों चने चबाने पड़ रहे हैं। बैंक से लिया कर्ज बढ़ता जा रहा है, घर पर बैठे-बैठे अजीब उलझन पैदा हो रही है। बच्चों की पढ़ाई पूरे वर्ष बेकार हो गई ,अब घर में बैठे पास हो जा रहे हैं। शिक्षक शिक्षिकाओं को भी घरों में बैठकर घुटन महसूस हो रही है। कोरोना महामारी मे भारी तादाद में लोग ऑक्सीजन लेवल घटने पर समय पर ऑक्सीजन न मिलने से मृत्यु होती देखी गई ।स्थानीय संवाददाता राष्ट्रीय सहारा ने कस्बा के कुछ बड़े व्यापारियों से बात किया जैसे साड़ी विक्रेता अब्दुल कुदुस जैदपुर साड़ी वाले ने बताया कि 2 माह 17 दिन से हम बाहर जाकर कपड़ों की खरीदारी नहीं की ,पूरा ग्राहकों के इंतजार में बैठा रहता हूं । चार पांच लोग सुबह से शाम तक कोटवा सड़क कस्बे में साड़ी सेंटर पर बैठे रहते हैं पर खर्च भी नहीं निकल पाता है ।कस्बा के रेडीमेड छोटू कपड़ा भंडार बताते हैंं जब से लॉकडाउन लगा है तब से बिक्री पूरी तरह से बंद है ।जब लॉकडाउन खुलता भी है तब भी ग्राहक नहीं आते हैं और जो आते हैं वह उधारी करके चले जाते हैं ,जिससे हाथ पर हाथ रखे बैठा हूं ।कस्बा के फल विक्रेता कासिम बताते हैं कि एक तो फल की बिक्री नहीं है इसके अलावा सभी फल काफी महंगे हैं, परिवार चलाना कठिन दिखाई पड़ रहा है ।