जिला ब्यूरो मनोज अवस्थी की रिपोर्ट
देश के लगभग सभी जिलों में पहुंच चुके टिड्डी दलों का कहर जारी हो गया है। केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने टिड्डी वार्निंग आर्गेनाइजेशन ने चेताया है कि वर्तमान समय की समस्या से बड़ी समस्या टिड्डियों की नई नस्ल हो सकती है। एल डब्लयूओ उप निदेशक ने बताया कि एक वयस्क मादा टिड्डी अपने 3 महीने के जीवन चक्र में 3 बार 80 से 90 अंडे देती है। यह अंडे नष्ट नहीं हुए तो एक झुंड में चार से आठ करोड़ तक टिडिया प्रति वर्ग किलोमीटर में दिखाई देगी किसानों की खरीफ की फसल भी जुलाई, अगस्त और सितंबर के दौरान तैयार होती है। जिसे यह टिड्डी दल पहल में चैट कर सकता है। उन्होंने कहा कि खाली खेतों में उनका प्रजनन बड़े पैमाने पर होने की आशंका जताई जा रही है। खाली खेतों में अंडे देने के कारण इनकी नई नस्ल परेशानी का सबब बनेगी। क्योंकि इनके अंडे देने का क्रम 2 महीने तक जारी रहेगा। जिससे खरीफ की फसल के उन्नत होने और टिड्डियों कि नई पीढ़ी के बढ़ने का समय एक ही रहेगा। वैज्ञानिकों के अनुसार अंडों को नष्ट करने के लिए खेतों में पानी भरकर रखने की सलाह दी गई है। इसके अलावा समय रहते कीटनाशकों का छिड़काव करके इन्हें नष्ट किया जा सकता है।