वन विभाग द्वारा बाघ को कैद करने का अनोखा अन्दाज बना चर्चा का विषय।
एम0असरार सिद्दीकी
नानपारा बहराइच-विकासखंड शिवपुर के ग्राम पंचायत मसूद नगर बस्थनवा में वन विभाग द्वारा बाघ को कैद करने का अनोखा अन्दाज चर्चा का विषय बना हुआ है। एक ओर गांव के बाग मे बाघ पिछले कई दिनो से खुलेआम घूम रहा है और लोगो की जान आफत में है।वहीं वन विभाग मात्र बाग में पिंजड़ा लगाकर बाघ के खुद उसमे आने का इंतजार कर रहा है।उल्लेखनीय है कि दो दिन पूर्व आम के बाग मेें अमिया बीनने गये बच्चो पर हमला कर बाघ ने जगमोहन की 16 वर्षीय पुत्री मोनी को घायल कर दिया था। जिसके बाद से गांव के लोगो में बाघ को लेकर दहशत व्याप्त है। ग्रामीणो की सूचना के बाद वन विभाग की ओर से बाग में पिंजड़ा तो लगा दिया गया,परन्तु न तो उसमे बाघ को फंसाने के लिये मांस डाला गया और न ही बकरी आदि जानवर बांधा गया,जिससे बाघ शिकार के लालच में पिंजड़े मे आये और कैद हो जाये बालिका को जख्मी करने के बाद से बाघ लगातार गांव में कभी किसी बाग में तो कभी किसी खेत में खुलेआम घूम रहा है परन्तु वन विभाग ने मात्र पिंजड़ा लगाकर गांव वालो की जान को भगवान भरोसे छोड़ दिया है।ग्रामीणों का आरोप है कि बाघ खुलेआम मक्का,गन्ना आदि खेतो मे घूम रहा है और वन विभाग ग्रामीणो की जान जोखिम में डालकर आंख मूंदे चैन की नींन्द सो रहा है।प्रधान प्रतिनिधि कर्मराज वर्मा ने बताया कि वन रेंज अधिकारी नानपारा से कई बार सम्पर्क कर बाघ को पकड़े जाने की गुहार लगाई गई, लेकिन फारेस्ट गार्ड ईश्वर सिंह को भेजे जाने की बात कहकर फोन रख दिया जाता है।
ग्रामीणो का कहना है कि पिंजड़ा लगाये जाने के बाद से आज तक कोई वन कर्मी गांव नही पहुचा है। ऐसे में वन विभाग की घोर लापरवाही के चलते ग्रामीण व उनके मासूम बच्चे कभी भी बाघ का शिकार बन सकते है।वहीं फारेस्ट गार्ड ईश्वर सिंह का कहना है कि रेंजर के निर्र्देशानुसार ही वह अपनी ड्यूटी कर रहे है। आखिर सवाल यह उठता है कि वन विभाग पिंजड़ा लगाने के बाद से मौके पर क्यों नही पहुंचा कर बाघ को पकड़ने मेें दिलचस्पी ले रहा है।मात्र पिंजड़ा लगाकर बाघ के उसमे खुद आने का इंतजार करना वन विभाग द्वारा ग्रामीणो की जान को जोखिम मे डालना है।