बहराइच-रमजानुल मुबारक महीने मे शबे कद्र का एक अलग महत्व हैं। इसके मद्देनजर रखते हुए रंजीतबोझा स्थित मदरसा के सबसे कम उम्र के हाफिज मोहम्मद हारुन ने भी क्षेत्रीय लोगों से अपील करते हुए कहा है कि लाकडाउन को देखते हुए मुसलमान शबे क्रद की इबादत घरों मे रह कर करें। मस्जिदो पर भीड़ इकट्ठा करने से बेहतर घर पर ही रहकर इबादत करें। उन्होंने कहा कि हजरात रमजानुल मुबारक के बा बरकत महीनों मे एक रात शबे कद्र हैं जो हजार महीनो से अफजल हैं।
रसूलल्लाह सल्लल्.लाहो सल्लम ने फ़रमाया कि अगर कोई इस एक रात में अल्लाह की इबादत करें तो उसको 83 साल की इबादत का सवाब मिलेगा। मगर अल्लाह ने उस रात को ताक रातों में छिपा दिया है ।और वह 21, 23, 25, 27, और 29 हैं। अगर कोई बंदा इस रात में अल्लाह की इबादत करें तो गोया उसने एक हजार महीना अल्लाह की इबादत की।इसी तरह इस रात की एक खुसूसियत यह भी है कि इस रात में जिब्रीले अमी मलाइका के एक लश्कर के साथ जमीन पर उतरते हैं और जो मुसलमान अल्लाह की इबादत में मशगूल होता है उसे सलाम और मुसाफा करते हैं और यह सिलसिला सुबह सादिक तक रहता है। उसके बाद जिब्रीले अमी मलाइका के साथ वापस चले जाते हैं।