रिपोर्ट- एम.असरार सिद्दीकी।
बाबागंज/बहराइच- रमजानुल मुबारक एक ऐसा बा-बरकत महीना है जिसकी बरकतों का शुमार नहीं किया जा सकता। रमजान मुबारक का महीना खत्म होने जा रहा हैं। मालूम नहीं दोबारा मिले या न मिले हमारे कितने भाई इसी रमजान में चले गये। यह बात बाबागंज छोटी मस्जिद के पेश इमाम हाफिज़ मोहम्मद उमर ने एक पत्रकार वार्ता में कही उन्होने कहा कि इसकी बेशुमार खुसूसियात है और इसकी अजीम खुसूसियत यह है कि इस महीने में हिदायतें रहनुमाई का ऐसा सर-चश्मा फूटा जिससे कयामत तक लोग फैजे-आब होते रहेंगे। इसकी अकामत का आप अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि अगर वो पहाड़ पर नाजिल कर दिया जाता तो उसकी खुसूसियत और अजमत में पहाड़ चूर चूर हो जाता। इसे तमाम इंसानों की फलाह-ओ-बैबूत के लिए नाजिल किया गया है। और कुरआन एक ऐसी किताब हैं जो फलाह-ओ-कामरानी की कलीद (कुंजी) है। रोजा का बुनियादी मकसद नेयत- ए- कुरआन का हासिल करना और अल्लाह का शुक्र अदा करना है। कुरान से नेमत हासिल करने की शर्त तबलीग तकवा है और तकवा हासिल करने का बेहतरीन जरिया रोजा है। ये सब्र का महीना और सब्र का अज्र जन्नत है। ये भाईचारे और हमदर्दी का महीना हैं। ये ऐसा महीना है कि जिसमें मोमिन का रिज्क ज्यादा कर दिया जाता हैं। जिस शख्स ने इस माह में रोजादार को इफ्तार कराया उसे गुलाम आजाद करने का सबाब मिलता हैं और उसके गुनाह बख्श दिये जाते हैं। हुजूर -ए- अकदश सल्लल्लाहू अलैहे-वसल्लम ने फरमाया कि माहे रमजान में मेरी उम्मत को पांच चीजें दी गई हैं। जो इससे पहले किसी उम्मत को नहीं दी गयी। पहली रोजेदार के मुंह की बू अल्लाह के यहां मुश्क से ज्यादा उम्दा है। दूसरी रोजेदार के इफ़्तार तक फरिश्ते उसके लिए बक्शीश तलब करते हैं। तीसरी इस माह में सरकश, शैतान कैद कर दिया जाता है। चौथा अल्लाह-तआला हर दिन जन्नत को संवारता है। और इरशाद फरमाता हैं। कि अनकरीब मेरे नेक बंदे इसमें दाखिल होंगे। पांचवी रोजादार की तकलीफ और अकीयत दूर कर दी जाती है। इस माह की आखिरी रात को उन्हें बख्शा जाता है। अर्ज किया गया है। कि या रसूलअल्लाह का इससे मुराद लैलतुल-कद्र है। तो आप ने फरमाया नहीं यह सारी नेमतें वह हैं। जो काम पूरा करने वाले को उसका अज्र दिया जाता है। आपने फरमाया कि तुम पाबंदी के साथ रोके रखो और इबादत अदा करो, फितरा जकात अदा करो गरीब के दर्द में शामिल हो, अल्लाह ताला तुम को परेशानी को दूर रखेगा और जन्नतुल फिरदोस में आला मकाम अदा करेगा। उन्होने कहा कि रमजान महीना का मुख्य उद्देश्य समाज में परम्परा मेल जोल व भाईचारे को बढ़ावा देते हुए समाज में बराबरी का संदेश देना हैं।
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