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रामविलास पासवान: ​पाँच दशक तक देश की राजनीति, होने वाले थे DSP लेकिन 6 बार केंद्र मंत्री बने.. जानिए शहरबन्नी की झोपड़ी से संसद का सफर

पटना:

लालू, रामविलास और नीतीश.. एक ही पेड़ के पत्ते कहे जा सकते हैं तीनों में एक बात समान है कि सबने गरीबी से संघर्ष शुरू किया और आखिर में उस मुकाम को हासिल किया है जिसका सपना हर नेता देखता है। रामविलास पासवान का जन्म 5 जुलाई 1946 को खगड़िया के सुदूर देहात शहरबन्नी में हुआ था। पिता जामुन पासवान की तीन संतानों में रामविलास सबसे बड़े थे, उसके बाद पशुपति पारस और रामचंद्र पासवान। पिता ने तीनों भाइयों को काफी गरीबी में पाला था, लेकिन रामविलास शुरू से ही जुझारु थे, उन्होंने शहरबन्नी से स्कूली पढ़ाई करने के बाद एमए और एलएलबी कर लिया।

जब रामविलास बन रहे थे DSP👉
इसके बाद उन्होंने यूपीएससी की न सिर्फ तैयारी की बल्कि उसे पास भी किया। रामविलास का चयन डीएसपी के पोस्ट के लिए हुआ था। लेकिन शायद उन्हें कहीं और जाना था। जब उनका चयन यूपीएससी में हुआ तभी वह समाजवादी नेता राम सजीवन के संपर्क में आए और राजनीति का रुख कर लिया। 1969 में वह अलौली विधानसभा से संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़े और विधानसभा पहुंचे। इसके बाद पासवान ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। इसके बाद 1974 में वो राज नारायण और जेपी के प्रबल अनुयायी के रूप में लोकदल के महासचिव बने। वे व्यक्तिगत रूप से राज नारायण, कर्पूरी ठाकुर और सत्येंद्र नारायण सिन्हा जैसे आपातकाल के प्रमुख नेताओं के करीबी भी रहे। उनकी शादी 1960 में राजकुमारी देवी के साथ हुई थी। बाद में 1981 में राजकुमारी देवी को तलाक देकर उन्होंने दूसरी शादी 1983 में रीना शर्मा से की। उनकी दोनों पत्नियों से तीन पुत्रियां और एक पुत्र है। उन्होंने कोसी कॉलेज, खगड़िया और पटना यूनिवर्सिटी में पढ़ाई की। पटना विश्वविद्यालय से उन्होंने एमए और लॉ ग्रेजुएट की डिग्री ली।

पाँच दशक तक देश की राजनीति, दो बार रिकॉर्ड तोड़ जीत और 6 बार केंद्र में मंत्री
रामविलास पूरे पांच दशक तक बिहार और देश की राजनीति में छाये रहे। इस दौरान दो बार उन्होंने लोकसभा चुनाव में सर्वाधिक मतों से जीतने का विश्व रिकॉर्ड भी बना डाला। उनके नाम एक और रिकॉर्ड भी है जो शायद कोई और नेता न बना पाए और वो ये कि रामविलास देश के 6 प्रधानमंत्रियों की कैबिनेट में मंत्री रहे। सियासत में आगे क्या होनेवाला है, इसे रामविलास समय से पहले ही भांप जाते थे। इसी लिए RJD सुप्रीमो लालू यादव ने उन्हें राजनीति का मौसम वैज्ञानिक तक करार दे दिया था। बानगी के तौर पर वो केंद्र में 6 बार मंत्री बने।

  • 1989 में पहली बार केन्द्रीय श्रम मंत्री
  • 1996 में रेल मंत्री
  • 1999 में संचार मंत्री
  • 2002 में कोयला मंत्री
  • 2014 में खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री
  • 2019 में खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री

LJP से पहले पासवान ने बनाई थी दलित सेना👇
1975 में जब देश में इमरजेंसी का ऐलान किया गया तो रामविलास भी गिरफ्तार कर लिए गए। 1977 में जेल से छूटने के बाद उन्होंने जनता पार्टी की सदस्यता ले ली और पहली बार हाजीपुर से संसद पहुंचे। इस दौरान रामविलास ने सबसे ज्यादा वोटों के अंतर से चुनाव जीतने का वर्ल्ड रिकॉर्ड ही बना दिया। LJP तो काफी बाद में बनी लेकिन 1983 में ही रामविलास दलित सेना की स्थापना कर दी। राजनीति में रहते हुए उनके दो ऐसे फैसले थे जो आगे चलकर मील का पत्थर साबित हुए। पहला फैसला हाजीपुर में रेलवे का जोनल कार्यालय खुलवाना जबकि दूसरा फैसला केन्द्र में अंबेडकर जयंती पर छुट्टी घोषित कराने का था।

विवेक कुमार श्रीवास्तव

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