जैसा की हमलोग जानते है 15 जून की रात गलवान घाटी में भारत और चीन की सैनिकों के बीच में हिंसक झड़प हुई। इस बारे में हमलोग काफी कुछ सुन चुके है। लेकिन अभी तक पूरा साफ़ नहीं हुआ है की उस रात का हिंसक झड़प क्यों और किसलिए हुई थी। और आज भी लोग अपनी -अपनी समझ और जानकारी के अनुसार बता रहे है। ऐसे में इंडिया टुडे ने भारतीय सेना की कई अफसर और सैनिको से बात की लद्दाख में अब तक जो कुछ हुआ उसके बारे में पता किया।
इंडिया टुडे के अनुसार कहानी सुरु होती है। 6 जून की दिन दोनों देशो के बीच लेफ़्टिनेंट जेनरल लेवल की बात -चित हुई। तय हुआ की दोनों सेना पीछे हटेगी। सैनिको की पीछे हटने की शुरुआत गलवान घाटी में पट्रोल पॉइंट- 14 से हुई। बात -चीत के दौरान यह साबित हुआ की चीन की एक निगरानी पोस्ट Line Of Actual Control यानि LAC भारतीय सीमा में थी। यह पोस्ट गलवान नदी के मोड़ की शिखर पर थी। ऐसे में चीनी सेना को हटाने की सहमति बन गए। कुछ दिन बाद चीनी सेना ने इस पोस्ट को भी हटा दिया। जिस दिन पोस्ट हटा लिया उस दिन 16 बिहार इन्फेन्ट्री के कमांडिंग अफसर कर्नल B. Santosh Babu की चीन अफसर से बात भी हुए थी।
लेकिन 14 जून को मामला बदल गया। 14 जून को उसी जगह चीन ने फिर से पोस्ट बना ली। ऐसे में कर्नल संतोष बाबू 15 जून की शाम करीब 5 बजे एक टीम लेकर उनकी पोस्ट पर गए। पहले उन्होंने सोचा की गलती से यह पोस्ट बनाई गई है। हलाकि उनके टीम के नौजबान अफसर और सैनिक चीन की पोस्ट को हटाने के लिए बेताब थे। लेकिन कर्नल संतोष बाबू ने उसे रोका कर्नल बाबू की पहचान एक शांत और सयमी अफसर के रूप में होती है। वो पहले ही इस इलाक़े में कंपनी कमांडर रह चुके थे। वे नेशनल डिफेन्स अकादमी में इंस्ट्रक्टर भी रह चुके थे। आमतौर पर पहले मेजर रैंक के कंपनी कमांडर को एक टीम के साथ पहले जाँच के लिए भेजा जाता है। लेकिन कर्नल संतोष बाबू ने फैसला लिया की। इस मामले को यूनिट के नौजबानो पर नहीं छोड़ना चाहिए। ऐसे में शाम 7 बजे वे 2 मेजर सहित 35 सैनिक के टीम के साथ पैदल है चीन की पोस्ट पर गए। टीम के मन में लड़ाई जैसी कोई भावना नहीं थी। वे सिर्फ बात करने के लिए गए थे। वे जब चीन की पोस्ट पर पहुंचे तब पता चला की वहां मौजूद सैनिक अलग थे। वे जाने पहचाने नहीं थे। वे सैनिक आमतौर पर उस इलाके में तैनात नहीं होते थे। बिहार इन्फेन्ट्री वहां तैनात रहने बाली चीनी सैनिको को पहचानते थे। ऐसे में नई चेहरा को देख कर उन्हें अचम्भा हुआ। उन्हें पता चला की नई चीनी सैनिक तिब्बत से भेजे गए है। नए चीनी सैनिक काफी उग्र थे। जब कर्नल संतोष बाबू ने पूछा की यहाँ दोबारा से पोस्ट क्यों लगाई गई तो एक चीनी सैनिक ने उन्हें जोर से धका दिया। साथ ही अपने भाषा में गालियाँ दी।
यह देख कर भारतीय सैनिक भी उग्र हो गए और वे चीनी सैनिको पर टूट पड़े । लड़ाई बिना हथियार की हो रही थी। करीब आधे घंटे के बाद झगड़ा खत्म हो हुआ। दोनों तरफ के सैनिक जख्मी हो गए थे। पर भारतीय सैनिक चीनियों पर हाबी रहे उन्होंने चीनी पोस्ट को तोड़ दिया। और जला दिया। लेकिन बिबाद बहुत बढ़ चूका था। इसके बाद कर्नल संतोष बाबू समझ चुके थे की कुछ बड़ा हो सकता है। इसलिए उन्होंने घायल जवानो को भारतीय पोस्ट पर भेज दिया। और उनसे कहा की वे दूसरे सैनिक को यहाँ पर भेज दे। इस दौरान वे अपने सैनिको को शांत भी कराया। साथ ही भारतीय सैनिक चीनी सैनिक को LAC के पार ले गए। ऐसे में भारतीय सैनिक LAC पार कर ली। ये लड़ाई के दूसरे दौर की कारण बनी। इंडिया टुडे के अनुसार दूसरे झगड़े में ज़्यादा नुकसान हुआ झगड़े बाले जगह से कुछ किलोमीटर दूर एक पोस्ट पर तैनात अफसर ने इंडिया टुडे को बताया की हमारे जवान गुस्से और आक्रमक थे। और आप अंदाजा लगा सकते है की उन्हें सबक सिखाना चाहते थे इस समय अँधेरा हो चूका था। और कर्नल संतोष बाबू का सक सही निकला गलवान नदी के दोनों तरफ और ऊपर कई सारे चीनी सैनिक पोजीशन ले चुके थे। उन्होंने आते ही पत्थर फेकना सुरु कर दिया। रात 9 बजे के करीब कर्नल संतोष बाबू को एक बड़ा पत्थर लगा। इससे वे गलवान नदी में गिर गए।
दूसरा झगड़ा करीब 45 मिनट तक चला। इस झगड़े में कई सारे सब इकठा हो गए। अहम् बात यह थी की इस दौरान लड़ाई LAC पर अलग -अलग जगह पर भी हो रही थी। 300 लोग आपस में अलग -अलग जगह पर लड़ रहे थे। इस दौरान चीनी सैनिको के कटीले काटे बाले रॉड और नोकीले किले बाले डंडों से हमला किया था। लड़ाई रुकने पर भारतीय और चीन सैनिको का सब निकले गए। जिसमे एक कर्नल संतोष बाबू का भी सब था। लड़ाई रुकने के बाद वहाँ पर शांति हो गई। दोनों तरफ के सैनिक अपने-अपने इलाको में चले गए। दोनों को अपने -अपने सब को ले जाने दिया गया। सब निकालने के दौरान ही। भारतीय सैनिक ने वे एक ड्रोन की आबाज सुनी यह एक नए खतरे का संकेत था। यह संकेत था की गलवान में आधी रात को भारत और चीन के बिच होने बाले तीसरे झड़प का। ड्रोन धीरे – धीरे घाटी की ओर था। और इन्फ़्रारेड और लाइट विज़न का इस्तेमाल कर रहा था। ताकि चीन अपनों नुक्सान का आकलन कर सके। और फिर से हमला कर सके। तब तक भारतीय सेना की बैक-अप टीम भी आ चुकी थी। इनमे 16 बिहार और 3 पंजाब की रेजिमेंट के घातक पलाटून के सैनिक भी शामिल थे। लेकिन जिस तरह की तैयारी भारत की थी। उसी तरह चीन ने भी कर ली थी। जब तक पीछे से मदद के लिए भारतीय सैनिक आते तब तक पहले बाले सैनिक चीनी सीमा में काफी आगे जा चुके थे। उन्होंने ये इसलिए किया ताकि बड़ी -संख्या में चीनी सैनिक LAC पर न आ जाये।
रात 11 बजे के थोड़ी देर बाद ही तीसरा झगड़ा सुरु हो गया। यह आधी रात के बाद तक चलता रहा। यह झगड़ा गलवान नदी के किनारो ,सकिरिये ,और ढलान बाले जगह पर हुआ। इस बजह से दोनों तरफ के सैनिक गलवान नदी में गिर गए। कई चटानो पर गिरने से घायल हो गए। करीब 5 घंटे की हिंसक झड़प के बाद बिबाद शांत हुआ। दोनों तरफ को मेडिकल टीम ने अपने -अपने सैनिको को मरहम-पटी की .दोनों सेनाओ ने एक दूसरे के सैनिको को रात में हे लौटा दिया। लेकिन भारतीये सेना के 10 जवान फिर भी चीनी सीमा मे गए। जिसमे 2 मेजर 2 कप्तान 6 जवान थे। इंडिया टुडे को जानकारी मिली की लड़ाई के बाद पहली बार समग्र आंकलन में पाया गया की तीसरी लड़ाई के बाढ़ चीन के उसके 16 के सब सौपे गए। इनमे से चीन के 5 अफसर भी शामिल थे। इस तरह से 16 चीनी सैनिक युद्ध में ही मरे थे। ऐसा अंदाजा है की जिस तरह बाद में भारत की 17 घायल जवानो की मौत हो गए उसी तरह चीन के कई जख्मी जवान मारे गए। हालांकि इसके बारे में चीन की ओर से न कोई पुस्ति हुई है और न ही होने की संभावना है। और इस तरह से भारतीय सेना के 20 जवान हमारे भारत माता की सेवा करते-करते शहीद हो गए। ऐसे जवाज सैनिको को मेरा सलाम है।