सीवान। बड़हरिया की प्रतिभाशाली बेटी शालिनी सिन्हा (पिता- हीरा लाल, पति- मधुप किशोर सिन्हा) द्वारा लिखित नवीन काव्य संग्रह “मकीशा” का विमोचन रविवार को सीवान के वेंकट हॉल में बड़े ही भव्य अंदाज में संपन्न हुआ। कार्यक्रम में क्षेत्र के कई सम्मानित व्यक्तित्वों ने भाग लिया और शालिनी सिन्हा की कविताओं की भूरि-भूरि प्रशंसा की।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि लक्ष्मी नर्सिंग होम के डॉ. आर. के. सिंह, जेड ए इस्लामिया कॉलेज के प्रोफेसर डॉ. हारून शैलेन्द्र, प्रोफेसर मधुबाला, डॉ. राजन मान सिंह, और राजन दान सिंह थे। इनके साथ ही कई जाने-माने शिक्षक, प्रख्यात वक्ता, और साहित्यिक जगत से जुड़े गणमान्य लोग भी उपस्थित रहे।
कार्यक्रम के दौरान शालिनी सिन्हा की कविताओं का पाठ किया गया, जिसने उपस्थित श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। उनकी कविता की पंक्तियां:
*”आलस से अपना फैसला बरकरार रखिए
मिलेगी मंजिल हौसला बरकरार रखिए
यूं उकताने से हासिल कुछ भी ना होगा
सफर में मेहनत का सिलसिला बरकरार रखिए”*
को सुनते ही पूरा कार्यक्रम स्थल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।
अतिथियों ने की सराहना
डॉ. हारून शैलेन्द्र ने शालिनी सिन्हा की कविताओं की प्रशंसा करते हुए कहा, “इस प्रकार की प्रतिभा को बड़े मंच की आवश्यकता है।” वहीं, डॉ. आर. के. सिंह ने इसे हिंदी साहित्य के उत्थान के लिए प्रेरणादायक बताते हुए कहा, “डॉ. राजेंद्र प्रसाद की धरती से इस तरह का काव्य संग्रह प्रकाशित होना हिंदी साहित्य के भविष्य के लिए शुभ संकेत है।”
कार्यक्रम का समापन उनकी प्रेरणादायक कविता की पंक्तियों से हुआ:
*”पंख फैलाओ और उड़ान हो जाओ
ऊंचे उठो और आसमान हो जाओ।”*
इन पंक्तियों ने श्रोताओं में जोश और उत्साह भर दिया।
कड़ाके की ठंड के बावजूद कार्यक्रम में सैकड़ों की संख्या में लोग उपस्थित रहे। सभी ने शालिनी सिन्हा को उनकी पुस्तक के लिए शुभकामनाएं दीं।
आनलाइन उपलब्ध
“मकीशा” काव्य संग्रह अमेज़न और फ्लिपकार्ट जैसी ई-कॉमर्स वेबसाइट्स पर उपलब्ध है। यह पुस्तक न केवल साहित्य प्रेमियों के लिए, बल्कि हर उम्र के पाठकों के लिए प्रेरणादायक साबित होगी।