रिपोर्ट – विवेक श्रीवास्तव
बहराइच- नानपारा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) में जांच और इलाज को लेकर अनियमितताओं का मामला सामने आया है। सलमा खान की बहन जो स्टोन और गर्भधारण हालात में हैं ने इलाज में हो रही लापरवाही और भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाई है।
मरीज का आरोप है कि डॉक्टर आशा साहू ने अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट को यह कहकर मानने से इंकार कर दिया कि उसमें रिफरेंस में उस डॉक्टर का नाम दर्ज नहीं है। इतना ही नहीं, जब मरीज ने अपनी आर्थिक तंगी का हवाला दिया और सुविधा के अनुसार सेंटर से अल्ट्रासाउंड करवाया है, तो उसे भी डॉक्टर ने खारिज कर दिया गया।
स्वास्थ्य विभाग के नियमों के तहत पंजीकृत पैथोलॉजी और अल्ट्रासाउंड सेंटर की रिपोर्ट को मान्य किया जाना चाहिए। बावजूद इसके, डॉक्टर द्वारा रिपोर्ट को अस्वीकार कर मरीज का इलाज न करना स्वास्थ्य सेवाओं की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
मरीज के परिवार ने सवाल उठाया है कि क्या यह मामला कमीशन या निजी लाभ से जुड़ा है? यदि रिपोर्ट में कोई गड़बड़ी थी, तो डॉक्टर को इलाज रोकने के बजाय विभागीय शिकायत दर्ज करनी चाहिए थी। साथ ही कहा कि सारी बाहरी दवा लिखी है और रिपोर्ट में नाम न होने पर वापस करती हैं। सरकारी अस्पताल में इलाज से इनकार ने स्थिति को और गंभीर बना दिया है। परिजनों ने अधिकारियों से डॉक्टर की इस मनमानी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।
स्वास्थ्य विभाग के नियमों के अनुसार, डॉक्टर को मरीज की रिपोर्ट की वैधता की जांच करनी चाहिए। यदि रिपोर्ट संदिग्ध है, तो डॉक्टर को मरीज को भटकाने के बजाय मामले की शिकायत करनी चाहिए। आमजन ने कहा कि आखिर कब तक सरकारी अस्पतालों में इलाज के नाम पर खेल चलता रहेगा? क्या गरीब मरीजों को हमेशा इस तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ेगा?
सीएचसी अधीक्षक डॉक्टर सीबी राम ने बताया जॉच करवाकर कार्यवाही की जाएगी।