रिपोर्ट- सुनील कुमार तिवारी
कहने को नौनिहालों के पोषण व शिक्षा के लिए सरकार की ओर से तमाम योजनाएं बनाई जा रही हैं, लेकिन धरातल पर इसका असर कितना है इसे देखने वाला कोई नहीं है। हद तो यह है कि सरकार की ही मनरेगा योजना में नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। विकास खण्ड पंडरी कृपाल के पिलखावा में तालाब में मिट्टी की खुदाई कार्य में महज 10 से 15 साल तक के बच्चों से काम लिया जा रहा है। बच्चों से काम कराने वाले जिम्मेदार भी जबाव देने से कतराते नजर आ रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि विकास खण्ड पंडरी कृपाल के पिलखावा में मनरेगा के तहत मिट्टी खुदाई का काम चल रहा है। इस कार्य में करीब 55 लोग मनरेगा में हाजिरी लगा कर कार्य कर रहे हैं लेकिन जमीनी हकीकत बिल्कुल पलटी हुई है हकीकत है कि कुल नाबालिग सहित मात्र लगभग 6 लोग ही कार्य कर रहे है बाकी सभी लोगो मे से सिर्फ ऑनलाइन हाजिर किया जाता है और सरकारी धन का दुरुपयोग की संभावना बढ़ जाती है। ऑनलाइन श्रमिकों में से 10% श्रमिक मौजूद नही है। श्रमिकों में 10 से 15 साल के बच्चे भी भीषण गर्मी में काम कर रहे हैं। बाल श्रमिकों से जब यहां काम करने के बारे में जानकारी जुटाई का प्रयास किया जाता है तो यहां मौजूद कुछ लोग बच्चों को भगा देते हैं। काम में लगे बच्चों का स्थानीय गांव के निवासी होना सामने आया है।
देखकर भी जिम्मेदार मूक दर्शक
महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना के तहत विकास खण्ड पंडरी कृपाल के पिलखावा में खुदाई के कार्य में बाल मजदूरी कराए जाने के मामले की जानकारी यहां नियमित तौर आने पर प्रशासनिक अधिकारियों को तो है, लेकिन वे सबकुछ देखकर मूक हैं। अधिकारियों ने बाल श्रम के मामले की जानकारी के बाद भी संबंधित पंचायत एवं तकनीकी सहायक पर कठोर कार्यवाही नहीं करते हुए बाल मजदूरी को खुली छूट दे दी है।
प्रशासन के दावों को निकला दम
मनरेगा के कार्य के दौरान रोजगार सहायक, पंचायत सचिव, तकनीकी सहायक की उपस्थिति के बाद भी हो रही बाल मजदूरी व मजदूरों की संख्या में कमी ने साबित कर दिया हैं कि पंडरी कृपया में प्रशाासनिक व्यवस्था पंगु हो गई है। कोई कुछ भी करे किसी पर किसी प्रकार की कार्यवाही नहीं होनी है। इतना ही नहीं दबी आवाज में यह बात भी सामने आई कि महात्मा गांधी नरेगा योजना में श्रमिकों से खुलेआम वसूली किया जाना सामने आ रहा है।