‘पीएम गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान: त्वरित आर्थिक विकास के लिए तालमेल बनाना’ विषय पर 28 फरवरी, 2022 को बजट के बाद एक सम्मेलन का आयोजन किया गया। संगोष्ठी में ‘लॉजिस्टिक्स कार्यबल रणनीति- कौशल और रोजगार के अवसरों में वृद्धि’ पर एक सत्र भी आयोजित किया गया था।
उच्च शिक्षा सचिव श्री के संजय मूर्ति; एमएसडीई के सचिव, श्री राजेश अग्रवाल; नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री अमिताभ कांत; श्री अमृत लाल मीणा, विशेष सचिव, लॉजिस्टिक्स; श्री गिरिधर अरमाने सचिव, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय; और श्री अनुराग जैन, सचिव, डीपीआईआईटी तथा विभिन्न संघों के प्रतिनिधियों ने भारत के परिवहन और लॉजिस्टिक्स क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए बजट में की गई प्रगतिशील घोषणाओं पर अपने विचारों का आदान-प्रदान किया, जो रोजगार के नए अवसर पैदा करने और देश को समावेशी आर्थिक विकास के मार्ग पर ले जाने में सहायक होगा।
श्री राजेश अग्रवाल ने कहा कि चर्चा का उद्देश्य लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में आने वाली विभिन्न चुनौतियों का समाधान करना होगा, विशेष रूप से हमारे घरेलू लॉजिस्टिक्स नेटवर्क को बेहतर बनाने की दिशा में गति शक्ति एक महत्वपूर्ण प्रयास हो सकती है। उन्होंने आगे कहा कि लॉजिस्टिक्स क्षेत्र को कौशल पर बहु-हितधारक सहयोग की आवश्यकता है। इस क्षेत्र में लगभग 22 करोड़ लोग कार्यरत हैं।
श्री अग्रवाल ने इस बात पर प्रकाश डाला कि कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय तथा अन्य मंत्रालय पहले ही पांच करोड़ से अधिक लोगों को प्रशिक्षित कर चुके हैं। इसके अतिरिक्त, लॉजिस्टिक्स सेक्टर स्किल काउंसिल (एलएसएससी) ने कम से कम सात लाख उम्मीदवारों को दस्तावेज़ सहायक, इन्वेंट्री क्लर्क, कूरियर डिलीवरी और वेयरहाउस से संबंधित नौकरियों जैसी रोज़गार के लिए प्रशिक्षित किया है। हमें आगे बढ़ते हुए उन छात्रों की पहचान करने की आवश्यकता है जो लॉजिस्टिक स्किलिंग और रीस्किलिंग मॉडल के लिए उपयुक्त हैं। उन्होंने बताया कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप, एसएससी ने न केवल इंजीनियरों के लिए बल्कि मानविकी के छात्रों के लिए भी आईटीआई और पॉलिटेक्निक में पाठ्यक्रम शुरू किए हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि सामूहिक प्रयासों से हम एक लागत प्रभावी आधुनिक बुनियादी ढांचा विकसित करने में सक्षम होंगे जो भारत को और सशक्त बनाएगा।
संस्था भवन के निर्माण की आवश्यकता के बारे में बात करते हुए श्री के. संजय मूर्ति ने कहा कि लॉजिस्टिक्स के लिए एक विशेष विश्वविद्यालय की स्थापना करना सही दृष्टिकोण नहीं हो सकता है। इसके बजाय, हमारे पास मौजूदा विश्वविद्यालयों में अच्छी तरह से परिभाषित और संरचित पाठ्यक्रम होने चाहिए, जो उद्योग की जरूरतों को पूरा करेंगे। उन्होंने बताया कि उन्होंने पहले ही एक मसौदा मॉड्यूल विकसित कर लिया है और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद, आईआईटी तथा एनआईटी को वितरित किया है, जिसका उद्देश्य सभी छात्रों को, सभी विषयों में, 20 क्रेडिट या 40 क्रेडिट पाठ्यक्रमों तक पहुंच प्रदान करना है। इसके अलावा, उन्होंने कहा कि नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल इंजीनियरिंग (एनआईटीआईई) के माध्यम से, हम अन्य पाठ्यक्रमों पर भी काम कर रहे हैं जो ऑनलाइन और केंद्रीय बजट 2022 में प्रस्तावित डिजिटल यूनिवर्सिटी में उपलब्ध होंगे।
सत्र के दौरान, श्री आर. दिनेश अध्यक्ष, लॉजिस्टिक्स सेक्टर स्किल काउंसिल और एमडी, टीवीएस सप्लाई चेन सॉल्यूशंस ने कहा कि लॉजिस्टिक्स के वैश्विक होने और भारतीय संदर्भ में स्किलिंग के अंतरराष्ट्रीय पहलुओं को भारत के स्वरूप में शामिल करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि दुनिया के लिए मानव पूंजी, लॉजिस्टिक्स में सभी पाठ्यक्रमों के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर के समकक्ष लाने पर बल देने की जरूरत है।
श्री अनिल सहस्रबुद्धे ने कहा कि दुनिया भर में लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में भारी मांग है और कई बड़े उद्योगपति भारत में अपने बैकएंड कार्यालय का चयन कर रहे हैं। हमें अगले कुछ वर्षों में 30 मिलियन का एक मजबूत कार्यबल बनाने की जरूरत है, जो उद्योग जगत की मांगों को पूरा करने के लिए तैयार हो। उन्होंने कहा कि नतीजतन, हमें जागरूकता पैदा करनी चाहिए जब छात्र अभी भी स्कूल में हैं, इसलिए उन्हें स्नातक स्तर पर लॉजिस्टिक्स-प्रासंगिक पाठ्यक्रम लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। उन्होंने देश के युवाओं को शिक्षित करने के लिए सरकार के विभिन्न मंत्रालयों के बीच सहयोग की आवश्यकता और इस क्षेत्र में आने वाली चुनौतियों के लिए अभिनव समाधान खोजने के लिए अपने ज्ञान का उपयोग करने की आवश्यकता पर बल दिया।