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रिसिया बहराइच: पंचायत भवन पर लटक रहा ताला: लाखो खर्च होने के बाद भी ग्रामीणों को लाभ नही, डिजिटाइजेशन कार्यक्रम को रोक रही उदासीनता

रिसिया बहराइच: पंचायत भवन पर लटक रहा ताला: लाखो खर्च होने के बाद भी ग्रामीणों को लाभ नही, डिजिटाइजेशन कार्यक्रम को रोक रही उदासीनता

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नानपारा बहराइच। विकासखंड के ग्राम पंचायत मासुपूर में आज 12 बजे पंचायत भवन में ताला लटक रहा था। ग्रामीणों ने बताया कि पंचायत भवन में कभी कोई अधिकारी नहीं बैठता है। लोक जरूरत होने पर ब्लॉक के चक्कर काटना पड़ता है। ना तो सचिव और ना ही ग्राम प्रधान कभी पंचायत भवन में बैठते हैं। बता दें कि प्रशासन की तरफ से हर ग्राम पंचायतों में सचिवालय स्थापित करने के लिए निर्मित कराए जा रहे हैं। गांव को डिजिटल करने के उद्देश्य पंचायत सहायकों की तैनाती भी की जा चुकी है। ग्रामीणों को गांव में की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए खोले गए ग्रामसचिवालय आज मात्र दिखावा रह गए हैं। पंचायत सहायक व सचिव की उदासीनता ग्राम पंचायत में डिजिटाइजेशन की राह में बाधा बनी है। इससे मासुपूर गांव के ग्रामीणों को योजना का कोई लाभ नहीं मिल रहा है। आज भी विभिन्न प्रमाण पत्रों के लिए तहसीलों का चक्कर लगाना पड़ रहा है। ग्रामीणों को आय जाति निवास प्रमाण पत्र से लेकर खसरा खतौनी निकालने जैसे कार्यों के लिए तहसीलों का चक्कर न लगाना पड़े साथ ही उन्हें जन्म व मृत्यु का पंजीकरण कराने के लिए भी परेशान ना होना पड़े। इसके लिए प्रत्येक गांव में पंचायत भवनों का डिजिटल में सुविधा दिए जाने की योजना संचालित है। शासन ने जहां पंचायत भवनों के निर्माण को लेकर राज्य वित्त आयोग की धनराज से पैसा खर्च करने की खुली छूट दी है। तो सभी ग्राम पंचायतों में पंचायत सहायक की नियुक्ति भी की जा चुकी है। इसके बाद भी पंचायत भवन में ताला लगा रहता है। ग्रामीणों को इससे लाखों रुपए खर्च होने के बाद भी कोई लाभ नहीं मिल रहा है। ऐसे मिले सचिवालय शासन की उम्मीदों पर खरे नहीं कर पा रहे। मासुपुर गांव के लोगों ने बताया कि इस कारण लोगों को सरकारी कामकाज के लिए विकास खंडवा तहसील कार्यालय सहित अन्य विभागों में चक्कर काटने पर मजबूर होना पड़ रहा है ग्रामीणों का कहना है कि ग्रामसचिवालय बनाने का क्या फायदा जब जहां सुविधाएं ही नहीं मिल पा रही है।

हालांकि, ग्राम पंचायतों को डिजिटलीकृत करने के लक्ष्य को पूरा करने के लिए प्रशासन द्वारा सभी ग्राम पंचायतों में सचिवालयों की स्थापना की जा रही है। ग्रामीणों को सुविधा प्रदान करने के लिए पंचायत सहायकों की भी नियुक्ति की गई है। इसके बावजूद, ग्राम सचिवालय का उपयोग अभी तक सिर्फ दिखावा ही साबित हो रहा और ग्रामीणों को इससे कोई लाभ नहीं मिल रहा है। पंचायत सहायक और सचिव की उदासीनता ग्राम पंचायतों के डिजिटाइजेशन कार्यक्रम को रोक रही है। इसके परिणामस्वरूप, मासुपूर गांव के ग्रामीणों को किसी योजना का लाभ नहीं मिल रहा है। आज भी, आय, जाति और निवास प्रमाण पत्र, खसरा और खतौनी की प्राप्ति, जन्म और मृत्यु का पंजीकरण जैसे कार्यों के लिए तहसील में जाना पड़ता है।

इस सम्बंध में खण्ड विकास अधिकारी रिसिया से बात तो बीडीओ रिसिया ने बताया कि संज्ञान में आया है दिखवाया जाएगा।

रिपोर्ट: विवेक श्रीवास्तव

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