मुकेश श्रीवास्तव
देश का जिम्मेदार नागरिक, संविधान और लोकमत की शक्ति के जानकार
जब मैं छोटा था तो चुनाव के वक्त लोगो को तरह-तरह की बाते करता सुनता, कुछ कहते की इस बार वो जीतेंगे उनका जोर ज्यादा है, तो कुछ लोग कहते इस बार वो जीतेंगे।
सच बात तो यह है, की जिसको जनता ज्यादा पसंद करे वही जीतता है,
आखिर भाई हम लोकतंत्र है, वो भी भारत जैसे देश में ।
भारत का नागरिक होना, अपने में एक बहुत बड़ा गर्व की बात है।
ऋषि-मुनियों की भूमि कहा जाने वाला भारत, जहाँ एक से एक महान राजा पैदा हुए। और उन्होंने भारत को अखंड रखने में अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया।
19वीं शदी से लेकर 20वीं शदी तक बहुत से महान क्रन्तिकारी जिन्होंने भारत को और आने वाले पीढियो को स्वतंत्र रखने में अपने प्राण की आहुति देने में भी जरा सा संकोच नही किया।
हम उस देश के स्वतंत्र नागरिक है, जहाँ लोक ही सर्वस्व है।
रविंद्र नाथ टैगोर द्वारा रचित, हमारा राष्ट्रगान-
जन-गण-मन, अधिनायक जय हे
भारत भाग्य-विधाता।
जो हर एक व्यक्ति के दिल में है, ऐसे ही नही रची गई थी।
जन का अर्थ है- लोग, उसी प्रकार जब लोग इकट्ठे होकर संगठन बना लेते है तो वो- गण, अर्थात लोगो का समूह बन जाता है, फिर जब ये एक-जुट होकर अपने मत का प्रयोग करते है, तब यही भारत के भाग्य के विधाता बन जाते है।
एक वाक्य में कहे तो, भारत की जनता ही सर्वस्व होती है, इसके ऊपर कोई शासन करने वाला नही है।
देश का एक छोटा चपरासी से लेकर देश के राष्ट्रपति तक इसके नीचे कार्य करते है। देश की जनता चाह ले तो एक मिनट में किसी को राजा तो किसी को रंक बना सकती है।
फिर भी पता नही क्यों, ये जनता अपना सामर्थ्य, अपना शक्ति, अपना मत-बल का प्रयोग नही करती। इनको जगाने के लिए क्या, कोई त्रेतायुग का रीछ-वानर आएगा, और कहेगा,
”चुप क्यूँ साध रहा बलवान, पवन तनय बल पवन समाना।”
और वह जागकर लंका पार कर जायेगा।
नही इसे खुद जागना होगा, और बुराइयों से लड़ना होगा। और आज वही समय है, जब भारत की जनता को, जागकर, मुँह धोकर, लाइन लगा कर, अपने मत का सुप्रयोग करना होगा। और बताना होगा की हम ही सब कुछ है, हमने आपको 5 वर्ष के लिए भारत का भविष्य बनाने के लिए लोकतंत्र के मंदिर (संसद) में भेजा था। अब हमारी बारी फिर है, कि हम आपको बताये की आप उस पवित्र मंदिर में दोबारा जाने लायक है कि नही।
यह मेरा अहोभाग्य है, की मैं भी महान-भारत का एक जिम्मेदार नागरिक बन गया हूँ, और आज मैं अपने मत का प्रयोग करने 150 कि०मी० से अपने गांव आया हूँ वोट डालने।
और मेरे नजर में जो व्यक्ति अपना मतदान नही करते, उन्हें देश के बारे में, देश के सरकार के बारे में, देश के विकाश के बारे में, बोलने का कोई अधिकार नही है।
जय हिंद, जय भारत, अखंड भारत
वास्तव में भारत का नागरिक ही भारत का भाग्य विधाता है, बस उसे अपनी शक्ति पहचानने की देरी है।