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सुभाष चंद्र बोस की 75 वीं पुण्यतिथि और विजय लक्ष्मी पंडित की 120 वीं जयंती पर कांग्रेस भवन सभागार में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन हुआ।

ब्यूरो सवांददाता मनोज अवस्थी

 

बहराइच। आज दिनाँक 18 अगस्त 2020 को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 75 वीं पुण्यतिथि और विजय लक्ष्मी पंडित की 120 वीं जयंती पर कांग्रेस भवन सभागार में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन हुआ। जिसमें कांग्रेस जनों के साथ जिला कांग्रेस कमेटी के जिला अध्यक्ष इंजीनियर जय प्रकाश मिश्र “जे.पी” ने चित्र पर माल्यार्पण करके श्रद्धांजलि अर्पित की।
इस अवसर पर जिला अध्यक्ष इंजीनियर जय प्रकाश मिश्र “जे.पी” ने कहा कि सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी, सन 1897 ई. में उड़ीसा के कटक नामक स्थान पर हुआ था। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान पश्चिमी शक्तियों के विरुद्ध ‘आज़ाद हिंद फ़ौज’ का नेतृत्व करने वाले बोस एक भारतीय क्रांतिकारी थे, जिनको ससम्मान ‘नेताजी’ भी कहते हैं। बोस के पिता का नाम ‘जानकीनाथ बोस’ और माँ का नाम ‘प्रभावती’ था। जानकीनाथ बोस कटक शहर के मशहूर वक़ील थे। पहले वे सरकारी वक़ील थे, लेकिन बाद में उन्होंने निजी प्रैक्टिस शुरू कर दी थी।नेताजी सुभाष चंद्र बोस भारतीय स्वाधीनता संग्राम के उन योद्धाओं में से एक थे, जिनका नाम और जीवन आज भी करोड़ों देशवासियों को मातृभमि के लिए समर्पित होकर कार्य करने की प्रेरणा देता है। भारत के इतिहास में ऐसा कोई व्यक्तित्व नहीं हुआ, जो एक साथ महान् सेनापति, वीर सैनिक, राजनीति का अद्भुत खिलाड़ी और अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त पुरुषों, नेताओं के समकक्ष साधिकार बैठकर कूटनीति तथा चर्चा करने वाला हो। भारत की स्वतंत्रता के लिए सुभाष चंद्र बोस ने क़रीब-क़रीब पूरे यूरोप में अलख जगाया। बोस प्रकृति से साधु, ईश्वर भक्त तथा तन एवं मन से देशभक्त थे। महात्मा गाँधी के नमक सत्याग्रह को ‘नेपोलियन की पेरिस यात्रा’ की संज्ञा देने वाले सुभाष चंद्र बोस का एक ऐसा व्यक्तित्व था, जिसका मार्ग कभी भी स्वार्थों ने नहीं रोका। जिसके पाँव लक्ष्य से कभी पीछे नहीं हटे, जिसने जो भी स्वप्न देखे, उन्हें साधा। नेताजी में सच्चाई के सामने खड़े होने की अद्भुत क्षमता थी।
विजयलक्ष्मी पण्डित का जन्म 18 अगस्त, 1900 में इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश में हुआ।
विजयलक्ष्मी पंडित जी ने जेल यात्रा 1932, 1942 में की।
विजयलक्ष्मी पण्डित स्‍वतंत्र भारत की पहली महिला राजदूत थीं, जिन्‍होंने मास्‍को, लंदन और वॉशिंगटन में भारत का प्रतिनिधित्‍व किया। 1952 और 1964 में विजयलक्ष्मी पण्डित लोकसभा की सदस्य चुनी गईं। वे कुछ समय तक महाराष्ट्र की राज्यपाल भी रही थीं।
विजयलक्ष्मी पण्डित जवाहरलाल नेहरू की बहन थीं। भारत के लिए ‘नेहरू परिवार’ ने जो महान् बलिदान और योगदान किया है, राष्ट्र उसे हमेशा याद रखेगा। विजयलक्ष्मी पण्डित ने भी देश की स्वतंत्रता में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया था, जिसे भुलाया नहीं जा सकता। ‘सविनय अवज्ञा आंदोलन’ में भाग लेने के कारण उन्‍हें जेल में बंद किया गया था। विजयलक्ष्मी एक पढ़ी-लिखी और प्रबुद्ध महिला थीं और विदेशों में आयोजित विभिन्‍न सम्‍मेलनों में उन्‍होंने भारत का प्रतिनिधित्‍व किया था। भारत के राजनीतिक इतिहास में वह पहली महिला मंत्री थीं। संयुक्त राष्ट्र की पहली भारतीय महिला अध्‍यक्ष भी वही थीं। विजयलक्ष्मी पण्डित स्‍वतंत्र भारत की पहली महिला राजदूत थीं, जिन्‍होंने मॉस्‍को, लंदन और वॉशिंगटन में भारत का प्रतिनिधित्‍व किया था।
सभा का संचालन मुकुंद जी शुक्ल शेरा ने किया।
श्रद्धांजलि सभा में : शेख जकरिया शेखू, मो. शाहनवाज, मुनऊ मिश्र, चौधरी अब्दुल मुईद खां, तारिक बेग, अमर नाथ शुक्ल, हमजा शफीक, बाबू खान, रमाकांत त्रिपाठी, खालिद सलमानी, राम सेवक वर्मा, सन्तराम गुप्ता, रंजन प्रकाश शर्मा सहित तमाम से कांग्रेसजन मौजूद रहे।

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