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मवई अयोध्या – माह ए रमजान का तीसरा अशरा बड़ा ही अफजल – मौलाना कामिल हुसैन नदवी आखिरी अशरे की 27 वी शब बहुत ही अफजल

रिपोर्ट मुदस्सिर हुसैन CMD NEWS

मवई अयोध्या – माह ए रमजान का तीसरा अशरा बड़ा ही अफजल – मौलाना कामिल हुसैन नदवी आखिरी अशरे की 27 वी शब बहुत ही अफजल

अयोध्या – माह ए रमजान के दो अशरे रहमत और मगफिरत के खत्म हो गए, इन दो अशरो में अल्लाह के नेक बंदों से जो भी टूटी फूटी इबादत हुई, अल्लाह उसे कुबूल फरमा ले, और माह ए रमजान के तीसरे अशरे को भी इबादत वाला बना दे, क्यों कि यह अशरा बड़ा ही अफजल है,और जहन्नुम की आग से आज़ादी दिलाने वाला अशरा है। इसमें पूरे रमजान की सबसे अफजल रातों में पांच शबे कद्र आती हैं। जिनमें अल्लाह अपनी रहमतों और बरकतों को लुटाता हुआ रोजेदारों की इबादतों से खुश होकर उनके गुनाहों को माफ फरमा देता है। माह ए रमजान पर रोशनी डालते हुए मौलाना कामिल हुसैन नदवी ने कही, उन्होंने कहा कि रमजान के दो अशरे खत्म हो चुके हैं। जिनमें अल्लाह की ओर से रोजेदारों के लिए रहमतों, बरकतों की बारिश की गई जबकि दूसरे अशरे में रोजेदारों के गुनाह माफ किए गए। उन्होंने कहा कि रमजान का तीसरा अशरा बहुत ही अफजल है। यह 20 वें रमजान से शुरू होता है। इसे निजात वाला अशरा कहा गया है। इसमें रोजेदार जहन्नम की आग से आजादी का परवाना हासिल करने के लिए अल्लाह की इबादत में जी-जान से जुटे रहते हैं। इसी अशरे में पांच शबे कद्र आती है जिनमें से सबसे अफजल और रुहानी 27 वीं शबे कद्र को माना गया है। इसी रात को आसमान से कुरान शरीफ नाजिल हुआ था।

उन्होंने कहा कि पांच ताक रातों में किसी एक में शबे कद्र तलाश करने का हुक्म दिया गया है। मुसलमानों को इन पांचों शबे कद्र में ज्यादा से ज्यादा इबादत कर अल्लाह तआला के दरबार में अपनी हाजिरी देनी चाहिए। शायद इससे खुश होकर अल्लाह हमारी दुआएं कुबूल फरमाकर हमें दुनिया में अमन की जिन्दगी अता कर दे और जो हमसे गुनाह हो चुके हैं उससे माफी मिल जाए। इस अशरे की ताक रातों में अल्लाह अपने बंदों की रहनुमाई करने के लिए फरिश्तों को आसमानों से जमीन पर भेजता है, जो बंदो की इबादत और उनके आमाल देखते हैं और खुदा के दरबार में सुबह फज्र होते ही बंदो की फेहरिस्त अल्लाह के सामने पेश कर देते हैं। अल्लाह की रहमत अपने नेक बंदों पर इस तरह जोश में आती है कि इन रातों में इबादत करने वाले बंदों को इस तरह से गुनाहों से पाक कर देता है जैसे वो अभी मां के पेट से पैदा हुआ है। मुसलमानों को शबे कद्र की इबादतों में जागकर अल्लाह से भलाई, नेकियां, रिज्क, तरक्की, खुशहाली की दुआ करनी चाहिए।

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