मुदस्सिर हुसैन CMD NEWS
अयोध्या – मवई क्षेत्र अंतर्गत जामा मस्जिद नेवरा में खिताब करते हुए मौलाना कामिल हुसैन नदवी ने ईद उल अजहा के मुकद्दस महीने पर रोशनी डालते हुए कहा कि ईदुल अज़हा त्याग और कुर्बानी का त्यौहार है।उन्होंने कहा कि गरीबों का ध्यान व पड़ोसियों की फ्रिक करने का त्यौहार है ईदुल अज़हा।ईदुल अज़हा का त्यौहार लोगों को सच्चाई की राह में अपना सब कुछ कुर्बान कर देने का संदेश देता है।मौलाना कामिल हुसैन नदवी ने ईद उल अजहा क्यों मनाया जाता है इसके बारे बताते हुए कहा कि हजरत इब्राहिम अलेहिसलाम के द्वारा दी गई अजीम कुर्बानी की याद में मनाई जाती है। इस्लामिक मान्यताओं के मुताबिक अल्लाह ने उनका इम्तिहान लेने के लिए उनसे कहा कि वह अपनी सबसे प्यारी चीज कुर्बान कर दे।जबकि ह0 इब्राहिम अलेहिसलाम के सबसे प्यारे उनके बेटे ह0 इस्माईल अलै0 थे। लेकिन उन्होंने अल्लाह का हुक्म मानते हुए,अपने बेटे को अल्लाह की राह में कुर्बान करने के लिए तैयार हो गए।लेकिन कुर्बानी से ऐन मौके पर अल्लाह के हुक्म से ह0 इस्माईल अलै0 की जगह दुमबा आ गया, और अल्लाह को यह अदा बहुत पसंद आई। अल्लाह तो देखना चाह रहा था कि मेरा बंदा मुझसे कितनी मोहब्बत करता है।मेरे लिए अपनी सबसे प्यारी चीज कुर्बान कर सकता है या नही, लेकिन हजरत इब्राहिम अलै0 द्वारा दी गई अपने बेटे की अजीम कुर्बानी अल्लाह को बहुत पसंद आई तभी से ईद उल अजहा मनाया जाने लगा।नदवी ने कहा कि बेशक अल्लाह हर दिलों के हाल जानता है और वह खूब समझता है कि बंदा जो कुर्बानी दे रहा है उसके पीछे उसकी क्या नियत है। उन्होंने कहा कि जब बंदा अल्लाह का हुक्म मानकर महज अल्लाह की रजा के लिए कुर्बानी करेगा तो यकीनन वह अल्लाह की रजा हासिल करेगा लेकिन कुर्बानी करने में दिखावा या उसके मन में तकब्बुर होगा तो अल्लाह उसे कुबूल नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि कुर्बानी नाम व शौहरत के लिए न की जाए बल्कि उसे अल्लाह की इबादत समझ कर किया जाए। वही अल्लाह के दरबार में कुबूल है।मौलाना कामिल हुसैन नदवी ने लोगों से कहा कि आप ऐसा अमल न करे जिससे दूसरो को तकलीफ हो बल्कि सरकार द्वारा बताई गई गाइड लाइन का पालन करते हुए ईद उल अजहा का त्यौहार मनाएं।