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नहीं रहे किसान नेता संजय पाण्डेय, संजय पाण्डेय ने चालीस दिन सिल्हौरघाट पुल के लिए किया था प्रदर्शन

आशीष सिंह

बनीकोडर, बाराबंकी। जनपद के विकासखण्ड बनीकोडर के पूरे दूलम मजरे सिल्हौर गांव निवासी किसान नेता संजय पांडेय का लंबी बीमारी के चलते रविवार लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज में इलाज के दौरान निधन हो गया। उनके निधन से पूरे क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई है। संजय पाण्डेय (45) पुत्र स्व.गंगाधर पाण्डेय बाराबंकी के पूरे दूलम के रहने वाले थे। वे फिलहाल भारतीय किसान यूनियन के काफी समय तक बनीकोडर महामंत्री रहे व एक बार कार्यवाहक ब्लाक अध्यक्ष भी रहे है। सिल्हौरघाट पुल की मांग खातिर जल सत्याग्रह में अहम किरदार था। वर्ष 2013 में पार्टून पुल के लिए लगभग चालीस दिन जल सत्या ग्रह किसान नेता संजय पाण्डेय के नेतृत्व में हुआ था। जिसके बाद सिल्हौरघाट पर पीपा पुल बना था वर्ष 2015 मे किसान नेता संजय पाण्डेय के द्वारा सिल्हौरघाट पर पक्के पुल को लेकर आंदोलन किया गया था। कई दिन पक्के पुल को लेकर प्रदर्शन हुआ था। जिसमें आंदोलन में क्षेत्र से हजारों लोगो ने हिस्सा लिया था। इन दिनों सिल्हौरघाट पर पक्का पुल निर्माण कार्य लगभग पूरा हो चुका है। ऐसे ही कई कार्य किसान नेता संजय पाण्डेय के द्वारा करवाया गया है। इनके निधन की सूचना मिलते ही क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई । किसान नेता के निवास पर लोगो का ताता लग गया। लोगो में एक चर्चा का विषय बना रहा आज तक कोई भी किसान नेता संजय पाण्डेय के पास कोई काम लेकर पहुंचा है तो बिना कुछ सोचे उसकी मदद ही किए हैं। निधन पर राज्य मंत्री सतीश शर्मा के प्रतिनिधि प्रदीप द्विवेदी जिला पंचायत सदस्य (प्रति) जितेंद्र सिंह रिकू,मंडल अध्यक्ष भाजपा किमो राजीव मिश्रा, जवाहर लाल तिवारी,उदय नारायण पाठक,प्रभाकर तिवारी,भक्तिमान पाण्डेय भाकियू नेता अनिल कुमार उत्तम वर्मा उत्कर्ष तिवारी समेत क्षेत्र के लोगो ने भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित किया।।

 

किसान नेता का एक कार्य रह गया अधूरा

आपको बता दें किसान नेता संजय पाण्डेय ने काफी समय से सिल्हौरघाट से मवई होते हुए एक बस लखनऊ व सिल्हौरघाट से ही एक बस मवई होते हुए अयोध्या के लिए मांग कर रहे थे। जो यह कार्य अधूरा रह गया। यहां से बस की सुविधा उपलब्ध हो उसके लिए कई बार उच्चाधिकारियों को पत्र भी भेज चुके थे। एक बार परिवहन विभाग के अधिकारी आकर जांच भी कर चुके हैं। किसान नेता रोडवेज बस चलवाने के लिए काफी उत्साहित थे लेकिन यह कार्य उनका अधूरा रह गया। फिलहाल अब देखना यह होगा कि उनके इस सपने को कौन पूरा करेगा?

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