रिपोर्ट- विवेक श्रीवास्तव
कृषि विज्ञान केंद्र नानपारा के अध्यक्ष एवं वैज्ञानिक डॉक्टर के एम सिंह ने मौजूदा मौसम एवं कीटों से आम के बागवानों को सचेत रहने को कहा है। कृषि वैज्ञानिक गणों द्वारा विकासखंड रिसिया के कृषक राम समुझ के आम बागीचे का भ्रमण किया वहाँ पर आ रही विभिन्न समस्याओं का अवलोकन कर तत्काल निदान किया गया।
डॉ. के.एम. सिंह ने आम के बाग स्वामियों को सचेत करते हुए बताया कि इस समय मिली बग (दहिया कीट) जो कि सफ़ेद से कीट होते है तथा हॉपर कीट जो कि छोटे-छोटे फुदके होते हैं, का प्रकोप अधिक देखने को मिल रहा है जिनकी वजह से पत्तियों और बौर पर चिपचिपा पदार्थ बढ़ता है जिसपर काली फफूंद (सूटी मोल्ड) लग जाती है साथ ही विभिन्न पोषक तत्वों की कमी एवं उचित सिंचाई के आभाव में फल गिरने जैसी समस्याएँ आती हैं। उन्होंने बताया कि आम के बागों में पहली सिचाई फल लगने के पश्चात दूसरी सिचाई फली का काँच की गोली के बराबर अवस्था में तथा तीसरी सिचाई फली की पूरी बढ़वार होने पर करनी चाहिए। वैज्ञानिक डॉ शशांक शेखर सिंह ने बताया कि 0:52:34 ( एन.पी.के ) 10 ग्राम + 0.8 ग्राम बोरोन + 1% जिंक सल्फेट + 0.5 एम.एल. प्लानोफिक्स प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करने से बौर में वृद्धि तेज होती है,आम की गुणवत्ता बढ़ती है साथ ही फल गिरने की समस्या से भी बचाव मिलता है। केंद्र की पौध संरक्षण वैज्ञानिक डॉ हर्षिता ने मिलीबग, हॉपर कीट तथा सूटी मोल्ड के नियंत्रण हेतु थायोमिथोक्साम 1 ग्राम प्रति लीटर पानी + हेक्साकोनाज़ोल 2 मिली/ ली. पानी का घोल बनाकर सुबह अथवा शाम के समय 15-15 दिनों के अंतराल पर 3 छिड़काव करने का सुझाव दिया। वैज्ञानिक डॉ अरुण कुमार ने बताया कि डाई बैक बीमारी से ग्रसित आम के पेड़ ऊपर से नीचे की ओर सूखने लगते हैं जिसके नियंत्रण हेतु कॉपर ऑक्सी कलोराइड का 0.3 प्रतिशत घोल का छिड़काव करके अपने बाप को सुरक्षित कर सकते हैं।