अंकुर पांडेय | CMD NEWS
धर्म की स्थापना भक्ति स्वरूपा शक्ति के बिना सम्भव नहीं थी, इस लिए प्रभु के अवतार के साथ ही माता जानकी का प्राकट्य हुआ। प्रभु श्रीराम और माता जानकी का विवाह अधर्म पर विजय की शुरुवात थी। भक्त श्रीराम व माता जानकी के विवाह की मार्मिक व भाव विभोर करने वाली कथा सुन श्रोता भक्ति के सागर में जयघोष के साथ डुबकी लगाते रहें।
वशिष्ठ पीठाधीश्वर डॉ. रामविलास वेदांती जी के सानिध्य एवं डॉ. राघवेश दास वेदांती के मार्गदर्शन में नारायण आश्रम के लग्न मंडप में चल रही श्रीराम कथा के छठवे दिन श्री राम विवाह की कथा सुनाते हुए कथा व्यास साध्वी स्मिता दीदी ने कहीं। उन्होंने कहा कि प्रभु और माता सीता का विवाह एक संयोग ही नहीं था अपितु मानव जीवन में एक पुरुष और स्त्री का दाम्पत्य जीवन, उसके कर्म, त्याग, बलिदान और दायित्व को समझने के लिए महत्वपूर्ण विधा है। आज समाज में छोटी बातों पर लोग पति-पत्नी के रिश्ते की आहुति देने को पंचायत से न्यायलय तक पहुँच जा रहें। हमें मानव रूप में लीला कर रहे प्रभु राम और माता जानकी के जीवन, सत्कर्म, मानव धर्म के दर्शन को आत्मसात करना चाहिए। प्रभु ने अपने लीलाओं के माध्यम से हमें जीवन में किसके साथ कैसा व्यवहार करनी चाहिए, इसका अमूल्य ज्ञान प्रवाहित किया, जिसका वर्णन आज कलयुग में भी हर घर मे सुनने को मिलता है।
साध्वी स्मिता दीदी ने प्रभु श्रीराम के अपने भैया लक्ष्मण संग जनकपुर भ्रमण, वाटिका प्रसंग, धनुष यज्ञ का सुंदर वर्णन कर भक्तों को भावविभोर कर उन्हें जयघोष करते हुए झूमने को विवश कर दिया। कथा के दौरान विवाहोत्सव में भक्तों ने पूरे उत्साह से डुबकी लगाई।
जिसके उपरांत वशिष्ठ पीठाधीश्वर डॉ. रामविलास वेदांती जी के उत्तराधिकारी डॉ. राघवेश दास वेदांती ने भक्तों को अपने आशीर्वचनों से सिंचित किया। मंच का संचालन कैलास मिश्रा जी ने किया
इस अवसर पर नारायण आश्रम में ब्यवस्थापक महंत विजयानंद जी महाराज, मनमोहन तिवारी, राजेश तिवारी, राम कथा वाचक स्वामी श्री आनन्द जी महाराज, हिमांशु दास पुजारी,शशिकांत त्रिपाठी प्रातः कालीन द्वादश ज्योतिलिंग अनुष्ठान के संचालक अवध विहारी पांडेय, रामनारायण दुबे, संजीव झा, आयोजक चन्द्र प्रकाश तिवारी
आदि लोग मौजूद रहें।